Bhikari: Difference between revisions
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Latest revision as of 22:08, 12 March 2025
भिखारी
लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा
भिखारी
महाकवि लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा
भिखारी
महाकवि लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा
महाकवि लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा
प्रकाशक : साझा प्रकाशन
संस्करण : | पहिलो | २०१६ |
दोस्रो | २०१९ | |
तेस्रो | २०२६ | |
चौथो | २०२९ | |
पाँचौँ | २०३५ | |
छैटौँ | २०३९ | |
सातौँ | २०४० | |
आठौँ | २०४२ | |
नवौँ | २०४३ | |
दसौँ | २०४४ | |
एघारौँ | २०४५ | |
बाह्रौँ | २०४७ | |
तेह्रौँ | २०४८ | |
चौधौँ | २०४९ | |
पन्ध्रौँ | २०५१ | |
सोह्रौँ | २०५३ | |
सत्रौँ | २०५५ | |
अठारौँ | २०६० |
(साझा प्रकाशनबाट सोह्रौँ पटक) १०००० प्रति
आवरणकला | : | टेकवीर मुखिया |
मूल्य | : | रु २०।- |
मुद्रक | : | साझा प्रकाशनको छापाखाना |
पुलचोक, ललितपुर, फोन न ५५२१०२३ | ||
ISBN: 1888: 99933-2-284-9 |
प्रकाशकीय
महाकविका लोकप्रिय भैसकेका केही कविता जम्मा पारेर ने. भा. प्र. समितिले यो पुस्तक तयार पारेको हो । रसको यति धनी भएर पनि यसलाई 'भिखारी' किन भनियो होला भन्ने तर्क धेरैले गर्छन् । हामीले पनि गर्यौं । जबाफ हामीले पायौं महाकविकै शब्दमा-
कालो बादलबाट खसेको
अन्धकारमा भित्र बसेको
ईश्वर हो कि भिखारी ?
बोल्दछ ईश्वर हृदय घुसेको
घर, घर, आँगन चारी
बोल्दछ आर्तध्वनिमा बोल्दछ
करुणामृत दिल भारी (पृ. ३)
'यात्री', 'चार', 'घाँसी', 'सन्ध्या', 'वन' जस्ता कविताहरू झोलीमा हालेर ल्याउने 'भिखारी' चानचुने छैन । यस्ता भिखारी त, हामी भन्छौं-
......भरी हुन्
नेपाली यौ गगनमनि (पृ. ५२)
वि. सं. २०२६ | कमल दीक्षित |