Page:Lalitya bhag 1 ra 2.pdf/248: Difference between revisions
Appearance
No edit summary |
No edit summary |
||
Page body (to be transcluded): | Page body (to be transcluded): | ||
Line 3: | Line 3: | ||
{{pcn|(१२)}} | {{pcn|(१२)}} | ||
हिमको वनमा शुद्ध पवनमा | हिमको वनमा शुद्ध पवनमा | ||
::सानू गद्गद भैकन मनमा | ::सानू गद्गद भैकन मनमा । | ||
प्रकृति निरन्तर चहचह गर्छे | प्रकृति निरन्तर चहचह गर्छे | ||
::कृत्रिम जुगतिर आँखा तर्छे | ::कृत्रिम जुगतिर आँखा तर्छे ॥ | ||
{{pcn|(१३)}} | {{pcn|(१३)}} | ||
शिरको शोभा त्यसमा बेस | शिरको शोभा त्यसमा बेस | ||
::मृदुल पैतला-तुल्य मधेश | ::मृदुल पैतला-तुल्य मधेश । | ||
मेरुदण्ड झैँ बिचको खण्ड | मेरुदण्ड झैँ बिचको खण्ड | ||
::दिन्छ दुवैतिर जोड अखण्ड | ::दिन्छ दुवैतिर जोड अखण्ड ॥ | ||
{{pcn|(१४)}} | {{pcn|(१४)}} | ||
अहिल्यै हिमगिरिबाट छुटेका | अहिल्यै हिमगिरिबाट छुटेका | ||
::खण्डखण्ड भै टम्म जुटेका | ::खण्डखण्ड भै टम्म जुटेका । | ||
उपपर्वतमा जीवन धारी | उपपर्वतमा जीवन धारी | ||
::लाखन झुप्रे गाम तयारी | ::लाखन झुप्रे गाम तयारी ॥ | ||
{{pcn|(१५)}} | {{pcn|(१५)}} | ||
तिनमा रहने धेरै जाति | तिनमा रहने धेरै जाति | ||
::किन्तु काममा एकै छाती | ::किन्तु काममा एकै छाती । | ||
धान, मकै, जौ, गहुँ, भटमास- | धान, मकै, जौ, गहुँ, भटमास- | ||
::प्राकृत सबको खेती खास | ::प्राकृत सबको खेती खास ॥ | ||
</poem> | </poem> | ||
<noinclude>{{end center block}}</noinclude> | <noinclude>{{end center block}}</noinclude> |
Latest revision as of 19:25, 18 May 2025
This page has not been proofread
(१२)
हिमको वनमा शुद्ध पवनमा
सानू गद्गद भैकन मनमा ।
प्रकृति निरन्तर चहचह गर्छे
कृत्रिम जुगतिर आँखा तर्छे ॥
(१३)
शिरको शोभा त्यसमा बेस
मृदुल पैतला-तुल्य मधेश ।
मेरुदण्ड झैँ बिचको खण्ड
दिन्छ दुवैतिर जोड अखण्ड ॥
(१४)
अहिल्यै हिमगिरिबाट छुटेका
खण्डखण्ड भै टम्म जुटेका ।
उपपर्वतमा जीवन धारी
लाखन झुप्रे गाम तयारी ॥
(१५)
तिनमा रहने धेरै जाति
किन्तु काममा एकै छाती ।
धान, मकै, जौ, गहुँ, भटमास-
प्राकृत सबको खेती खास ॥