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Revision as of 12:16, 18 May 2025
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राम-राज्य (प्राचीन शैलीमा)
(१)
सीता साथ लिई राम सभाको बिचमा बसे
कविका कविता-वर्षा, शिरमा बर्बरी खसे
(२)
गयो ताप महाराज ! सारा भारतवर्ष यो
पूर्ण चन्द्र उदाएको स्वच्छ आकाश झैँ भयो
(३)
पृथ्वी, लक्ष्मी दुवै पत्नी विष्णुका प्रभुले लिँदा
बिचराको बुढो शय्या कान्ताशून्य भयो सदा
(४)
चतुरङ्गवती सेना बसेकी छ वरिपरी
प्रभुलाई प्रभावपूर्ण भानुको बिम्ब झैँ गरी
(५)
धैर्य गाम्भीर्यको वास प्रभुमा छ टनाटन
अगस्त्यले शुकाएको सिन्धुको छैन वर्णन