Page:Lalitya bhag 1 ra 2.pdf/289: Difference between revisions
Appearance
→Not proofread: Created page with "<noinclude>{{start center block}}</noinclude> <poem> </poem> {{end center block}}" |
No edit summary |
||
Page body (to be transcluded): | Page body (to be transcluded): | ||
Line 1: | Line 1: | ||
<noinclude>{{start center block}}</noinclude> | <noinclude>{{start center block}}</noinclude> | ||
<poem> | <poem> | ||
{{pcn|(३२)}} | |||
शुक्यो शुगा त्यो, ए सान्नानी ! | |||
::किन नदिएको चारा पानी ? | |||
भन्ने करुणा-रसको धारा | |||
::आज नजरमा छल्क्यो सारा | | |||
{{pcn|(३३)}} | |||
खगको चोला, नरको बोली | |||
::कठिन तपस्या ऋषिमुनिको ली | |||
जहाँ बिताएँ जनम तमाम | |||
::कसरी बिर्सुँ अब त्यो ठाम ?? | |||
{{pcn|(३४)}} | |||
पलपल त्यै घर, त्यै परिवार | |||
::त्यै पिँजराको गोल दिवार | |||
त्यो सब खाना घुम्दछ मनमा | |||
::दैव ! पछारिस् किन यो वनमा ?? | |||
{{pcn|(३५)}} | |||
विन्ति छ मेरो कुटिल ! विधाता ! | |||
::अब नछुटाएस् यस्तो नाता | |||
सारा वनमा लगा डढेलो | |||
::खरानीको गर छेलोखेलो | |||
</poem> | </poem> | ||
{{end center block}} | {{end center block}} |
Revision as of 12:15, 18 May 2025
This page has not been proofread
(३२)
शुक्यो शुगा त्यो, ए सान्नानी !
किन नदिएको चारा पानी ?
भन्ने करुणा-रसको धारा
आज नजरमा छल्क्यो सारा |
(३३)
खगको चोला, नरको बोली
कठिन तपस्या ऋषिमुनिको ली
जहाँ बिताएँ जनम तमाम
कसरी बिर्सुँ अब त्यो ठाम ??
(३४)
पलपल त्यै घर, त्यै परिवार
त्यै पिँजराको गोल दिवार
त्यो सब खाना घुम्दछ मनमा
दैव ! पछारिस् किन यो वनमा ??
(३५)
विन्ति छ मेरो कुटिल ! विधाता !
अब नछुटाएस् यस्तो नाता
सारा वनमा लगा डढेलो
खरानीको गर छेलोखेलो