Page:Lalitya bhag 1 ra 2.pdf/264: Difference between revisions
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परत्रको वास्तव वस्तुतत्त्व | परत्रको वास्तव वस्तुतत्त्व | ||
::वरत्रको जीवनको महत्त्व | ::वरत्रको जीवनको महत्त्व । | ||
बुझी दुवैको सुख-तारतम्य | बुझी दुवैको सुख-तारतम्य | ||
::यै जाति गर्थ्यो उपदेश रम्य | ::यै जाति गर्थ्यो उपदेश रम्य ॥ | ||
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आस्तिक्यको दीपक दिव्य बाली | आस्तिक्यको दीपक दिव्य बाली | ||
::कालो कडा नास्तिकता पखाली | ::कालो कडा नास्तिकता पखाली । | ||
जस्ले जगाई प्रतिभा उज्यालो | जस्ले जगाई प्रतिभा उज्यालो | ||
::विश्वात्मा विश्वेश्वरमा बसाल्यो | ::विश्वात्मा विश्वेश्वरमा बसाल्यो ॥ | ||
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खगोल भूगोल सबै निहारी | खगोल भूगोल सबै निहारी | ||
::रहस्य उस्का गतिको विचारी | ::रहस्य उस्का गतिको विचारी । | ||
समस्त सृष्टिक्रम-तारतम्य | समस्त सृष्टिक्रम-तारतम्य | ||
::यै जातिले स्पष्ट गर्यो सुरम्य | ::यै जातिले स्पष्ट गर्यो सुरम्य ॥ | ||
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देवेन्द्रदेखि कृमि कीटसम्म | देवेन्द्रदेखि कृमि कीटसम्म | ||
::देखी महाचेतन-ज्योति टम्म | ::देखी महाचेतन-ज्योति टम्म । | ||
'आत्मैव सर्वम्' जुन जाति भन्थ्यो | 'आत्मैव सर्वम्' जुन जाति भन्थ्यो | ||
::आनन्दमा गद्गद भै रहन्थ्यो | ::आनन्दमा गद्गद भै रहन्थ्यो ॥ | ||
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Latest revision as of 19:34, 18 May 2025
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(१६)
परत्रको वास्तव वस्तुतत्त्व
वरत्रको जीवनको महत्त्व ।
बुझी दुवैको सुख-तारतम्य
यै जाति गर्थ्यो उपदेश रम्य ॥
(१७)
आस्तिक्यको दीपक दिव्य बाली
कालो कडा नास्तिकता पखाली ।
जस्ले जगाई प्रतिभा उज्यालो
विश्वात्मा विश्वेश्वरमा बसाल्यो ॥
(१८)
खगोल भूगोल सबै निहारी
रहस्य उस्का गतिको विचारी ।
समस्त सृष्टिक्रम-तारतम्य
यै जातिले स्पष्ट गर्यो सुरम्य ॥
(१९)
देवेन्द्रदेखि कृमि कीटसम्म
देखी महाचेतन-ज्योति टम्म ।
'आत्मैव सर्वम्' जुन जाति भन्थ्यो
आनन्दमा गद्गद भै रहन्थ्यो ॥