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शीतपूर्ण जठिलाऽऽकृति-धारी । | ::शीतपूर्ण जठिलाऽऽकृति-धारी । | ||
शैशिरस्थिति समस्त हरायो | शैशिरस्थिति समस्त हरायो | ||
शान्त सुन्दर वसन्त उदायो ॥ | ::शान्त सुन्दर वसन्त उदायो ॥ | ||
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छैन शीत शरदी अघि जस्तो | छैन शीत शरदी अघि जस्तो | ||
लागदैन गरमी पनि उस्तो । | ::लागदैन गरमी पनि उस्तो । | ||
मध्यम स्थिति लिएर वसन्त | मध्यम स्थिति लिएर वसन्त | ||
लोकलाइ सुख दिन्छ अनन्त ॥ | ::लोकलाइ सुख दिन्छ अनन्त ॥ | ||
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जाल फारि गहिरो कुहिराको | जाल फारि गहिरो कुहिराको | ||
उज्ज्वल द्युति फिँजारि मजाको । | ::उज्ज्वल द्युति फिँजारि मजाको । | ||
सूर्य उत्तर दिशातिर लागे | सूर्य उत्तर दिशातिर लागे | ||
पद्मका विकट दुर्दिन भागे ॥ | ::पद्मका विकट दुर्दिन भागे ॥ | ||
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Revision as of 16:41, 5 May 2025
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वसन्त
(१)
अन्धकारमय सङ्ककारी
शीतपूर्ण जठिलाऽऽकृति-धारी ।
शैशिरस्थिति समस्त हरायो
शान्त सुन्दर वसन्त उदायो ॥
(२)
छैन शीत शरदी अघि जस्तो
लागदैन गरमी पनि उस्तो ।
मध्यम स्थिति लिएर वसन्त
लोकलाइ सुख दिन्छ अनन्त ॥
(३)
जाल फारि गहिरो कुहिराको
उज्ज्वल द्युति फिँजारि मजाको ।
सूर्य उत्तर दिशातिर लागे
पद्मका विकट दुर्दिन भागे ॥