Page:Ritubichar.pdf/51: Difference between revisions
Appearance
No edit summary |
No edit summary |
||
Page body (to be transcluded): | Page body (to be transcluded): | ||
Line 1: | Line 1: | ||
<noinclude>{{start center block}}</noinclude> | <noinclude>{{start center block}}</noinclude> | ||
<poem> | <poem> | ||
{{pcn|}} | {{pcn|७९}} | ||
हसनाको बडो हस्के देखी उत्ताउलोपन। | हसनाको बडो हस्के देखी उत्ताउलोपन। | ||
कुनामा केवरा लाग्यो जिभ्रो काढी लजाउन।। | कुनामा केवरा लाग्यो जिभ्रो काढी लजाउन।। | ||
{{pcn|}} | {{pcn|८०}} | ||
ढकमक्क शयेपत्री अभिमानीसमान छ। | ढकमक्क शयेपत्री अभिमानीसमान छ। | ||
ज्यादा लत्रन जान्दैन रूपको खूप शान छ।। | ज्यादा लत्रन जान्दैन रूपको खूप शान छ।। | ||
{{pcn|}} | {{pcn|८१}} | ||
बन्दैछ गमलारूपखोरमा गुणकेशरी। | बन्दैछ गमलारूपखोरमा गुणकेशरी। | ||
तैपनी फूलको सातो हर्छ त्यो गुणले गरी।। | तैपनी फूलको सातो हर्छ त्यो गुणले गरी।। | ||
{{pcn|}} | {{pcn|८२}} | ||
रसीलो हरश्रृङ्गार वर्षाई पुष्प बर्बरी। | रसीलो हरश्रृङ्गार वर्षाई पुष्प बर्बरी। | ||
स्वर्गीय वासना भर्छ महात्मा झैं वरीपरी।। | स्वर्गीय वासना भर्छ महात्मा झैं वरीपरी।। | ||
{{pcn|}} | {{pcn|८३}} | ||
हंसराज नयाँ रङ्ग झिकी अत्यन्त दङ्ग छ। | हंसराज नयाँ रङ्ग झिकी अत्यन्त दङ्ग छ। | ||
मानू सूर्यमुखीलाई सूर्य बन्ने उमङ्ग छ।। | मानू सूर्यमुखीलाई सूर्य बन्ने उमङ्ग छ।। | ||
{{pcn|}} | {{pcn|८४}} | ||
रङ्गमा रेशमैतुल्य ढङ्ग लोकै बिझाउने। | रङ्गमा रेशमैतुल्य ढङ्ग लोकै बिझाउने। | ||
रित्तो मखमली चुत्थो धूर्तै भन्न सुहाउने।। | रित्तो मखमली चुत्थो धूर्तै भन्न सुहाउने।। | ||
{{pcn|}} | {{pcn|८५}} | ||
उता गोदावरी जम्मै फुलेर ढकमक्क छ। | उता गोदावरी जम्मै फुलेर ढकमक्क छ। | ||
यता सरस नेवारी त्यो देखी अकमक्क छ।। | यता सरस नेवारी त्यो देखी अकमक्क छ।। | ||
{{pcn|}} | {{pcn|८६}} | ||
एतावता सबैतर्फ शरत्को कान्तिमाधुरी। | एतावता सबैतर्फ शरत्को कान्तिमाधुरी। | ||
झल्कायेर फुलेका छन् फूल राम्रा थरीथरी।। | झल्कायेर फुलेका छन् फूल राम्रा थरीथरी।। | ||
{{pcn|}} | {{pcn|८७}} | ||
टल्कने हलुवाबेत लटर्याम्म रुखैभरी। | टल्कने हलुवाबेत लटर्याम्म रुखैभरी। | ||
अम्बा लदाबदी जम्मै पाकेका छन् थरीथरी।। | अम्बा लदाबदी जम्मै पाकेका छन् थरीथरी।। | ||
</poem> | </poem> | ||
<noinclude>{{end center block}}</noinclude> | <noinclude>{{end center block}}</noinclude> |
Revision as of 08:08, 10 April 2025
This page has not been proofread
७९
हसनाको बडो हस्के देखी उत्ताउलोपन।
कुनामा केवरा लाग्यो जिभ्रो काढी लजाउन।।
८०
ढकमक्क शयेपत्री अभिमानीसमान छ।
ज्यादा लत्रन जान्दैन रूपको खूप शान छ।।
८१
बन्दैछ गमलारूपखोरमा गुणकेशरी।
तैपनी फूलको सातो हर्छ त्यो गुणले गरी।।
८२
रसीलो हरश्रृङ्गार वर्षाई पुष्प बर्बरी।
स्वर्गीय वासना भर्छ महात्मा झैं वरीपरी।।
८३
हंसराज नयाँ रङ्ग झिकी अत्यन्त दङ्ग छ।
मानू सूर्यमुखीलाई सूर्य बन्ने उमङ्ग छ।।
८४
रङ्गमा रेशमैतुल्य ढङ्ग लोकै बिझाउने।
रित्तो मखमली चुत्थो धूर्तै भन्न सुहाउने।।
८५
उता गोदावरी जम्मै फुलेर ढकमक्क छ।
यता सरस नेवारी त्यो देखी अकमक्क छ।।
८६
एतावता सबैतर्फ शरत्को कान्तिमाधुरी।
झल्कायेर फुलेका छन् फूल राम्रा थरीथरी।।
८७
टल्कने हलुवाबेत लटर्याम्म रुखैभरी।
अम्बा लदाबदी जम्मै पाकेका छन् थरीथरी।।