Page:Lalitya bhag 1 ra 2.pdf/266: Difference between revisions
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उदार यस्कै उपदेश-धारा | उदार यस्कै उपदेश-धारा | ||
::चुर्लुम्म पारीकन विश्व सारा | ::चुर्लुम्म पारीकन विश्व सारा । | ||
अनार्यता-दोष सदा पखाल्थ्यो | अनार्यता-दोष सदा पखाल्थ्यो | ||
::आर्यत्वको उज्ज्वलता निकाल्थ्यो | ::आर्यत्वको उज्ज्वलता निकाल्थ्यो ॥ | ||
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रजस्तमो-दूषित वृत्तिबाट | रजस्तमो-दूषित वृत्तिबाट | ||
::संसारमा पर्दछ बिल्लिबाठ | ::संसारमा पर्दछ बिल्लिबाठ । | ||
भन्ने बुझी नित्य समाजभित्र | भन्ने बुझी नित्य समाजभित्र | ||
::यै भर्दथ्यो सात्त्विकता पवित्र | ::यै भर्दथ्यो सात्त्विकता पवित्र ॥ | ||
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के शस्त्र, के धार्मिक शास्त्रतत्त्व | के शस्त्र, के धार्मिक शास्त्रतत्त्व | ||
::के शिल्प, सङ्गीत, कलामहत्त्व | ::के शिल्प, सङ्गीत, कलामहत्त्व । | ||
के स्वास्थ्य, वाणिज्य, कृषि प्रयास | के स्वास्थ्य, वाणिज्य, कृषि प्रयास | ||
::सर्वत्र आर्यत्व थियो प्रकाश | ::सर्वत्र आर्यत्व थियो प्रकाश ॥ | ||
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त्यै आर्यको संस्कृति विश्वभित्र | त्यै आर्यको संस्कृति विश्वभित्र | ||
::छँदै छ अद्याऽऽपि बडो पवित्र | ::छँदै छ अद्याऽऽपि बडो पवित्र । | ||
यथार्थ विश्लेषण गर्न उस्को | यथार्थ विश्लेषण गर्न उस्को | ||
::संसारको शक्ति छ आज कस्को ?? | ::संसारको शक्ति छ आज कस्को ?? | ||
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Latest revision as of 19:35, 18 May 2025
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(२४)
उदार यस्कै उपदेश-धारा
चुर्लुम्म पारीकन विश्व सारा ।
अनार्यता-दोष सदा पखाल्थ्यो
आर्यत्वको उज्ज्वलता निकाल्थ्यो ॥
(२५)
रजस्तमो-दूषित वृत्तिबाट
संसारमा पर्दछ बिल्लिबाठ ।
भन्ने बुझी नित्य समाजभित्र
यै भर्दथ्यो सात्त्विकता पवित्र ॥
(२६)
के शस्त्र, के धार्मिक शास्त्रतत्त्व
के शिल्प, सङ्गीत, कलामहत्त्व ।
के स्वास्थ्य, वाणिज्य, कृषि प्रयास
सर्वत्र आर्यत्व थियो प्रकाश ॥
(२७)
त्यै आर्यको संस्कृति विश्वभित्र
छँदै छ अद्याऽऽपि बडो पवित्र ।
यथार्थ विश्लेषण गर्न उस्को
संसारको शक्ति छ आज कस्को ??