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विरक्त बन्छ, व्यवहार लिन्नँ | विरक्त बन्छ, व्यवहार लिन्नँ | ||
कलत्र-पुत्राऽऽदि कुनै म छुन्नँ ॥ | ::कलत्र-पुत्राऽऽदि कुनै म छुन्नँ ॥ | ||
भनी मुडायो शिर, किन्तु आँखा | भनी मुडायो शिर, किन्तु आँखा | ||
बनीरहेका धनमा चनाखा ॥ | ::बनीरहेका धनमा चनाखा ॥ | ||
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गुणी विवेकी, कवि, साधु, सन्त | गुणी विवेकी, कवि, साधु, सन्त | ||
बडे बडे पण्डितजी, महन्त । | ::बडे बडे पण्डितजी, महन्त । | ||
सबै जनाका धन देखदामा | सबै जनाका धन देखदामा | ||
हुने दुवै नेत्र बिछट्ट लामा ॥ | ::हुने दुवै नेत्र बिछट्ट लामा ॥ | ||
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जती तिमी हेर, जती विचार, | जती तिमी हेर, जती विचार, | ||
जतीसुकै निर्मल चित्त पार । | ::जतीसुकै निर्मल चित्त पार । | ||
सबै जना यै मनमोहकारी- | सबै जना यै मनमोहकारी- | ||
स्वरूपधारी धनका भिखारी ॥ | ::स्वरूपधारी धनका भिखारी ॥ | ||
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विचार, विद्या, बल, शक्ति, तत्त्व | विचार, विद्या, बल, शक्ति, तत्त्व | ||
विवेक, फुर्ती, पटुता, महत्त्व । | ::विवेक, फुर्ती, पटुता, महत्त्व । | ||
सबै कुराको धनमा छ वास, | सबै कुराको धनमा छ वास, | ||
धनै छ सांसारिक सार खास ॥ | ::धनै छ सांसारिक सार खास ॥ | ||
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Revision as of 16:38, 5 May 2025
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(१२)
विरक्त बन्छ, व्यवहार लिन्नँ
कलत्र-पुत्राऽऽदि कुनै म छुन्नँ ॥
भनी मुडायो शिर, किन्तु आँखा
बनीरहेका धनमा चनाखा ॥
(१३)
गुणी विवेकी, कवि, साधु, सन्त
बडे बडे पण्डितजी, महन्त ।
सबै जनाका धन देखदामा
हुने दुवै नेत्र बिछट्ट लामा ॥
(१४)
जती तिमी हेर, जती विचार,
जतीसुकै निर्मल चित्त पार ।
सबै जना यै मनमोहकारी-
स्वरूपधारी धनका भिखारी ॥
(१५)
विचार, विद्या, बल, शक्ति, तत्त्व
विवेक, फुर्ती, पटुता, महत्त्व ।
सबै कुराको धनमा छ वास,
धनै छ सांसारिक सार खास ॥