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राम्रो वसन्त झैं पुच्छ, मैलो हेमन्त झैं शिर। | राम्रो वसन्त झैं पुच्छ, मैलो हेमन्त झैं शिर। | ||
राख्यो शिशिरले खासा चोचोमोचो दुवैतिर।। | राख्यो शिशिरले खासा चोचोमोचो दुवैतिर।। | ||
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पद्मिनीको महावैरी हिमको महिमा गयो। | पद्मिनीको महावैरी हिमको महिमा गयो। | ||
मालिन्यदोषले शून्य सूर्यको बिम्ब देखियो।। | मालिन्यदोषले शून्य सूर्यको बिम्ब देखियो।। | ||
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मिली अब सती प्यारी पद्मिनी यो भनीकन। | मिली अब सती प्यारी पद्मिनी यो भनीकन। | ||
राम झैं सूर्य लागे कि उत्तरैतिर फर्कन?।। | राम झैं सूर्य लागे कि उत्तरैतिर फर्कन?।। | ||
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वसन्तको कडा कोही अगुवा दूत झैं गरी। | वसन्तको कडा कोही अगुवा दूत झैं गरी। | ||
मैलो सबै सफा गर्दै सबैतर्फ चल्यो हुरी।। | मैलो सबै सफा गर्दै सबैतर्फ चल्यो हुरी।। | ||
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बिचरा पान्थका लेखा भ्रामरीकै दशासरी। | बिचरा पान्थका लेखा भ्रामरीकै दशासरी। | ||
लागीरहन्छ रस्ताभा दुःखदायी चिसो हुरी।। | लागीरहन्छ रस्ताभा दुःखदायी चिसो हुरी।। | ||
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हावाको भुमरीभित्र धुलाको छ उही गति। | हावाको भुमरीभित्र धुलाको छ उही गति। | ||
आफना कर्मका साथ जीवको हुन्छ जो गति।। | आफना कर्मका साथ जीवको हुन्छ जो गति।। | ||
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माथीबाट झरे सारा पुराना पात बर्बरी। | माथीबाट झरे सारा पुराना पात बर्बरी। | ||
शक्तिशून्य निरुद्योगी भाग्यका भक्त झैं गरी।। | शक्तिशून्य निरुद्योगी भाग्यका भक्त झैं गरी।। | ||
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लागदा पश्चिमा हावा पुराना दलको स्थिति। | लागदा पश्चिमा हावा पुराना दलको स्थिति। | ||
बदली वृक्षले केही देखाये सपने मति।। | बदली वृक्षले केही देखाये सपने मति।। | ||
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झुत्रा पात थिये अस्ति, झरे आज तिनी सब। | झुत्रा पात थिये अस्ति, झरे आज तिनी सब। | ||
पालुवा पर्सि देखिन्छ, छैन केही असम्भव।। | पालुवा पर्सि देखिन्छ, छैन केही असम्भव।। | ||
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Revision as of 09:30, 11 April 2025
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७९
राम्रो वसन्त झैं पुच्छ, मैलो हेमन्त झैं शिर।
राख्यो शिशिरले खासा चोचोमोचो दुवैतिर।।
८०
पद्मिनीको महावैरी हिमको महिमा गयो।
मालिन्यदोषले शून्य सूर्यको बिम्ब देखियो।।
८१
मिली अब सती प्यारी पद्मिनी यो भनीकन।
राम झैं सूर्य लागे कि उत्तरैतिर फर्कन?।।
८२
वसन्तको कडा कोही अगुवा दूत झैं गरी।
मैलो सबै सफा गर्दै सबैतर्फ चल्यो हुरी।।
८३
बिचरा पान्थका लेखा भ्रामरीकै दशासरी।
लागीरहन्छ रस्ताभा दुःखदायी चिसो हुरी।।
८४
हावाको भुमरीभित्र धुलाको छ उही गति।
आफना कर्मका साथ जीवको हुन्छ जो गति।।
८५
माथीबाट झरे सारा पुराना पात बर्बरी।
शक्तिशून्य निरुद्योगी भाग्यका भक्त झैं गरी।।
८६
लागदा पश्चिमा हावा पुराना दलको स्थिति।
बदली वृक्षले केही देखाये सपने मति।।
८७
झुत्रा पात थिये अस्ति, झरे आज तिनी सब।
पालुवा पर्सि देखिन्छ, छैन केही असम्भव।।