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Latest revision as of 15:00, 18 April 2025
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झाँगघर
(१)
घर एक बनाउँ मिली सबले
जग होस् पृथिवी तर स्वर्ग फुले–
सरि होस् दिल-फूल खुशी रहने
लहराहरु तुल्य विचार हुने ॥
(२)
लहराहरुको घर एक नयाँ
यसमा छ अहो अरु नै दुनियाँ ।
जिउको पिंजरा छ त्यहाँ मुनियाँ ।
कति बोल्छ मिठोसँग बात नयाँ ॥
(३)
कति झ्यालहरू यस झाँगभरी
झलमल्ल हवा सुखका लहरी ।
सबभित्र पसाउन हर्र गरी
सब शीतल झल्लर आँखिसरि ॥