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त्याग्यौ स्वर्गपुरी, खस्यौ गिरिशका लम्बा जटाजूटमा | त्याग्यौ स्वर्गपुरी, खस्यौ गिरिशका लम्बा जटाजूटमा | ||
तेताबाट पनी पछारिन गयौ कैलासको कूटमा । | ::तेताबाट पनी पछारिन गयौ कैलासको कूटमा । | ||
थोरै बेर मिल्यौ लपक्क हिममा, फेरी तलै हुत्तियौ | थोरै बेर मिल्यौ लपक्क हिममा, फेरी तलै हुत्तियौ | ||
चिच्याएर कराउँदै छहलिँदै डण्डूर पुर्दै गयौ ॥ | ::चिच्याएर कराउँदै छहलिँदै डण्डूर पुर्दै गयौ ॥ | ||
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फन्क्यौ खूब, अतासियौ, गिरिशिला चिर्दै हिँड्यौ लाखन | फन्क्यौ खूब, अतासियौ, गिरिशिला चिर्दै हिँड्यौ लाखन | ||
निस्क्यौ संथरमा ठुलो रहरमा, चढ्दै-गयो यौवन । | ::निस्क्यौ संथरमा ठुलो रहरमा, चढ्दै-गयो यौवन । | ||
पैलेको गति-भङ्गि-भाव बदल्यौ, झुक्दै गयो त्यो शिर | पैलेको गति-भङ्गि-भाव बदल्यौ, झुक्दै गयो त्यो शिर | ||
::गङ्गाजी ! खिहिर्याउँदो जलधिमा डूब्यौ कठै !! आखिर ॥ | |||
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Latest revision as of 17:34, 24 June 2025
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गङ्गाजीसित
(गङ्गासागर-सङ्गमबाट कैलासतिर हेरेर)
(१)
त्याग्यौ स्वर्गपुरी, खस्यौ गिरिशका लम्बा जटाजूटमा
तेताबाट पनी पछारिन गयौ कैलासको कूटमा ।
थोरै बेर मिल्यौ लपक्क हिममा, फेरी तलै हुत्तियौ
चिच्याएर कराउँदै छहलिँदै डण्डूर पुर्दै गयौ ॥
(२ )
फन्क्यौ खूब, अतासियौ, गिरिशिला चिर्दै हिँड्यौ लाखन
निस्क्यौ संथरमा ठुलो रहरमा, चढ्दै-गयो यौवन ।
पैलेको गति-भङ्गि-भाव बदल्यौ, झुक्दै गयो त्यो शिर
गङ्गाजी ! खिहिर्याउँदो जलधिमा डूब्यौ कठै !! आखिर ॥