Page:Lalitya bhag 1 ra 2.pdf/244: Difference between revisions
Appearance
→Not proofread: Created page with "<noinclude>{{start center block}}</noinclude> <poem> </poem> {{end center block}}" |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Page body (to be transcluded): | Page body (to be transcluded): | ||
Line 1: | Line 1: | ||
<noinclude>{{start center block}}</noinclude> | <noinclude>{{start center block}}</noinclude> | ||
<poem> | <poem> | ||
{{pcn|(२४)}} | |||
कतै फटयाङ्ग्राहरुको छ धर्ना | |||
::फिटिक्फिटिक् फिट्ट कतै किथर्ना । | |||
कतै कुनै कीट-शिकार तारो | |||
::ताकी जमेको चतुरो क्षपारो ॥ | |||
{{pcn|(२५)}} | |||
कतै त घोरै ढिकिच्याउँ चल्छ | |||
::कतै विषालू खजुरो टहल्छ । | |||
कतै करोडौँ धमिरा घुसेका | |||
::कतै किराले पुतली चुसेका ॥ | |||
{{pcn|(२६)}} | |||
देखेँ सबै कीट-पतङ्गभित्र | |||
::मनुष्यकै तुल्य असच्चरित्र । | |||
बलिष्ठले निर्बल टप्पटप्प | |||
::पक्री निलेको सब कप्पकप्प ॥ | |||
{{pcn|(२७)}} | |||
देखेर त्यो प्राकृत शक्तिवाद | |||
::यै बातको भो सहसैव याद । | |||
रहेछ सच्चा न त पुँजीवाद | |||
::न उच्च सैद्धान्तिक साम्यवाद ॥ | |||
</poem> | </poem> | ||
{{end center block}} | {{end center block}} |
Latest revision as of 19:24, 18 May 2025
This page has not been proofread
(२४)
कतै फटयाङ्ग्राहरुको छ धर्ना
फिटिक्फिटिक् फिट्ट कतै किथर्ना ।
कतै कुनै कीट-शिकार तारो
ताकी जमेको चतुरो क्षपारो ॥
(२५)
कतै त घोरै ढिकिच्याउँ चल्छ
कतै विषालू खजुरो टहल्छ ।
कतै करोडौँ धमिरा घुसेका
कतै किराले पुतली चुसेका ॥
(२६)
देखेँ सबै कीट-पतङ्गभित्र
मनुष्यकै तुल्य असच्चरित्र ।
बलिष्ठले निर्बल टप्पटप्प
पक्री निलेको सब कप्पकप्प ॥
(२७)
देखेर त्यो प्राकृत शक्तिवाद
यै बातको भो सहसैव याद ।
रहेछ सच्चा न त पुँजीवाद
न उच्च सैद्धान्तिक साम्यवाद ॥