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::चूलीमा पुग्यो बाटो गुनी | ::चूलीमा पुग्यो बाटो गुनी | ||
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आफूलाई जित्ने संसार जित्छ निर्वाणभन्दा कीर्ति कुन ? | आफूलाई जित्ने संसार जित्छ निर्वाणभन्दा कीर्ति कुन ? | ||
::आकाश उनको छाती हो | ::आकाश उनको छाती हो | ||
::::करुणा धारा सुन | ::::करुणा-धारा सुन ! | ||
::तारा आँखा राती हो, | ::तारा आँखा राती हो, | ||
माटी-जरामा बन्चरो दी | माटी-जरामा बन्चरो दी | ||
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Latest revision as of 12:29, 6 May 2025
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(गीत)
वैशाखको पूर्णिमा
हेर ! हो हिमाल जून !
रातको कालो वर्णमा
अमृतको यो थालीले
झलमल पार्ने कुन ?
स्याब्बो च्याङ्बा ! स्याब्बो च्याङ्बी !
संसार मथ्दा जूनको नौनी स्वर्ग तर छ, सुखको दिन !
तारा-झुप्पे यो रूखमुनि
कसले लगायो धून ?
चूलीमा पुग्यो बाटो गुनी
आँधी नाची, पर्वत नाघी,
संसारलाई लाउन गुन ?
स्याब्बो च्याङ्बा ! स्याब्बो च्याङ्बी !
आफूलाई जित्ने संसार जित्छ निर्वाणभन्दा कीर्ति कुन ?
आकाश उनको छाती हो
करुणा-धारा सुन !
तारा आँखा राती हो,
माटी-जरामा बन्चरो दी
काललाई जित्ने कुन ?
स्याब्बो च्याङ्बा ! स्याब्बो च्याङ्बी !
अमृत झल्क्यो संसारमाथि हेर ! ऊ ज्योति ! हिमाल जून !
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