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::पाई इशारा । | ::पाई इशारा । | ||
संसार वन हिँड्थे | संसार वन हिँड्थे | ||
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सुगन्ध किरण | सुगन्ध किरण | ||
::हाली माटामा ॥ | ::हाली माटामा ॥ | ||
फूलका | फूलका रङ्गमा | ||
::तिम्रो सपना ! | ::तिम्रो सपना ! | ||
पाउँदै दिल चल्यो | पाउँदै दिल चल्यो | ||
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"काहीँ | "काहीँ काहीँका | ||
::पहाड फूल त । | ::पहाड फूल त । | ||
दिलका | दिलका कुञ्जी झैँ | ||
::प्रेमका मूल ती ॥ | ::प्रेमका मूल ती ॥ | ||
हुन्छन् फुलेका | हुन्छन् फुलेका |
Latest revision as of 17:50, 3 May 2025
प्रेममा नबोले
भेट्छ सर्वाणी ॥
[२९]
"तिमी जहाँ छौ
उही मेरो घर
मेरो आत्मामा
मेरो सत्का स्वर ।
तिम्रो मुखमा
ईश्वर मोहनी
मेरो दरबार छ
तिम्रो मनमनि !
सत्को तरवार छ
तिम्रो भौँ मनि ॥
[३०]
प्रेमको सिर्जना
प्रेमको मालामा ।
तारा गाँसिन्छन्
सेता ज्वालामा !
हाम्रा नजरमा
सत्य तिर्सना ।
प्रेमका बाटामा
सुन्दर देख्दछे ॥
हेलाँ, निन्दाले,
माया जल बुनी
अज्ञान भरेर
आँखा छेक्दछे
[३१]
तिम्रो मुहारमा
ईश्वर हाँस्छन् ।
मेरो मरु-प्यास
दिलका नास्दछन् ॥
[३२]
झल्का झिल्काको
पाई इशारा ।
संसार वन हिँड्थे
ईश्वर सहारा
[३३]
पृथ्वी फुल्दथिन्
बाटा-बाटामा
सुगन्ध किरण
हाली माटामा ॥
फूलका रङ्गमा
तिम्रो सपना !
पाउँदै दिल चल्यो
हेर्न बिपना ॥
[३४]
"काहीँ काहीँका
पहाड फूल त ।
दिलका कुञ्जी झैँ
प्रेमका मूल ती ॥
हुन्छन् फुलेका
सत्का शहरमा ।
पाइ त्यो कुञ्जी
तिम्रा मुहारमा ॥