Page:Sunko bihani.pdf/53: Difference between revisions
Appearance
→Not proofread: Created page with "{{c|{{x-larger|'''झाँगघर'''}}}} {{center block| <poem> {{pcn|(१)}} घर एक बनाउँ मिली सबले ::जग होस् पृथिवी तर स्वर्ग फुले– सरि होस् दिल-फूल खुशी रहने ::लहराहरु तुल्य विचार हुने ॥ {{pcn|(२)}} लहराहरुको घर एक नयाँ ::यसमा छ अहो अरु..." |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Page status | Page status | ||
- | + | Proofread | |
Page body (to be transcluded): | Page body (to be transcluded): | ||
Line 1: | Line 1: | ||
{{c|{{x-larger|'''झाँगघर'''}}}} | {{c|{{x-larger|'''झाँगघर'''}}}} | ||
{{center block | {{start center block}} | ||
<poem> | <poem> | ||
{{pcn|(१)}} | {{pcn|(१)}} | ||
Line 15: | Line 15: | ||
{{pcn|(३)}} | {{pcn|(३)}} | ||
कति | कति झ्यालहरू यस झाँगभरी | ||
::झलमल्ल हवा सुखका लहरी । | ::झलमल्ल हवा सुखका लहरी । | ||
सबभित्र पसाउन हर्र गरी | सबभित्र पसाउन हर्र गरी | ||
::सब शीतल झल्लर आँखिसरि ॥ | ::सब शीतल झल्लर आँखिसरि ॥ | ||
</poem>}} | </poem> | ||
{{end center block}} |
Latest revision as of 15:00, 18 April 2025
This page has been proofread
झाँगघर
(१)
घर एक बनाउँ मिली सबले
जग होस् पृथिवी तर स्वर्ग फुले–
सरि होस् दिल-फूल खुशी रहने
लहराहरु तुल्य विचार हुने ॥
(२)
लहराहरुको घर एक नयाँ
यसमा छ अहो अरु नै दुनियाँ ।
जिउको पिंजरा छ त्यहाँ मुनियाँ ।
कति बोल्छ मिठोसँग बात नयाँ ॥
(३)
कति झ्यालहरू यस झाँगभरी
झलमल्ल हवा सुखका लहरी ।
सबभित्र पसाउन हर्र गरी
सब शीतल झल्लर आँखिसरि ॥