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::भनि मुनि अलमस्ती मस्त भै भित्र | ::भनि मुनि अलमस्ती मस्त भै भित्र भित्र । | ||
फिर मुसुमुसु हाँसे, किन्तु भो वाक्य बन्द | फिर मुसुमुसु हाँसे, किन्तु भो वाक्य बन्द | ||
::कमलबिच निदायो मुग्ध मानू | ::कमलबिच निदायो मुग्ध मानू मिलिन्द ॥ | ||
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Revision as of 21:12, 6 May 2025
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२४
यसरि अगम भित्री भाव वा सच्चरित्र
भनि मुनि अलमस्ती मस्त भै भित्र भित्र ।
फिर मुसुमुसु हाँसे, किन्तु भो वाक्य बन्द
कमलबिच निदायो मुग्ध मानू मिलिन्द ॥