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जसरी तटमा बसी कुनै । | जसरी तटमा बसी कुनै । | ||
:: | ::सब देख्छन् विधु नै कणा कणा ॥ | ||
सब सैकतका भरी भरी । | |||
::गहमा आँसु लिई चकोरले ॥ | ::गहमा आँसु लिई चकोरले ॥ | ||
म छु हेर ! उसै गरी सदा । | म छु हेर ! उसै गरी सदा । | ||
::वनको छेउ हरा पयोधिमा ॥ | ::वनको छेउ हरा पयोधिमा ॥ | ||
कसुमादिहरू सबै तिमी- | कसुमादिहरू सबै तिमी- | ||
::सरि देख्ने विधु | ::सरि देख्ने विधु झैं शकुन्तला ॥ | ||
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सपनासरि चट्ट झल्किई । | |||
::रसवाली मनको मुहारमा ॥ | ::रसवाली मनको मुहारमा ॥ | ||
अब हाय कता रह्यौ तिमी । | |||
::म तृषानिम्ति वियोगभारमा ॥ | ::म तृषानिम्ति वियोगभारमा ॥ | ||
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क्षण नै | क्षण नै गर्हुँका बनी गए । | ||
::अति ढीला नरमाइला पला ॥ | ::अति ढीला नरमाइला पला ॥ | ||
कति सुस्त विषाद हिँड्दछ । | कति सुस्त विषाद हिँड्दछ । | ||
::समयै | ::समयै बन्दछ क्रूर लङ्गडो ॥ | ||
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दिलले दिलसाध | दिलले दिलसाध पोख्नको । | ||
::रहरैमा जलभित्रभित्रको ॥ | ::रहरैमा जलभित्रभित्रको ॥ | ||
वन हेर ! खिजाउँदै | वन हेर ! खिजाउँदै थप्यो । | ||
::नव | ::नव शृङ्गार प्रसूनपत्रमा ॥ | ||
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::हँसिली वन्य कलि प्रवातमा ॥ | ::हँसिली वन्य कलि प्रवातमा ॥ | ||
खँदिली सपना सुशिल्पित । | खँदिली सपना सुशिल्पित । | ||
:: | ::विधुकी खण्ड लुक्यौ कहाँ कहाँ ? | ||
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जसरी तटमा बसी कुनै ।
सब देख्छन् विधु नै कणा कणा ॥
सब सैकतका भरी भरी ।
गहमा आँसु लिई चकोरले ॥
म छु हेर ! उसै गरी सदा ।
वनको छेउ हरा पयोधिमा ॥
कसुमादिहरू सबै तिमी-
सरि देख्ने विधु झैं शकुन्तला ॥
(२९)
सपनासरि चट्ट झल्किई ।
रसवाली मनको मुहारमा ॥
अब हाय कता रह्यौ तिमी ।
म तृषानिम्ति वियोगभारमा ॥
(३०)
क्षण नै गर्हुँका बनी गए ।
अति ढीला नरमाइला पला ॥
कति सुस्त विषाद हिँड्दछ ।
समयै बन्दछ क्रूर लङ्गडो ॥
(३१)
दिलले दिलसाध पोख्नको ।
रहरैमा जलभित्रभित्रको ॥
वन हेर ! खिजाउँदै थप्यो ।
नव शृङ्गार प्रसूनपत्रमा ॥
(३२)
रसिली कलिली प्रभामुखी ।
हँसिली वन्य कलि प्रवातमा ॥
खँदिली सपना सुशिल्पित ।
विधुकी खण्ड लुक्यौ कहाँ कहाँ ?
(३३)