Page:Buddhibinodko pahila binod.pdf/25: Difference between revisions
Appearance
Page status | Page status | ||
- | + | Validated | |
Page body (to be transcluded): | Page body (to be transcluded): | ||
Line 1: | Line 1: | ||
<noinclude>{{start center block}}</noinclude> | <noinclude>{{start center block}}</noinclude> | ||
<poem> | <poem> | ||
विचारको तार चढ्यो जती जती | |||
::मलाइ आश्चर्य बढ्यो उती उती ॥ | ::मलाइ आश्चर्य बढ्यो उती उती ॥ | ||
न शक्तछू तर्कन वा न फर्कन | न शक्तछू तर्कन वा न फर्कन | ||
Line 19: | Line 19: | ||
{{pcn|७४}} | {{pcn|७४}} | ||
वहाँ न गाढा | वहाँ न गाढा 'त म' को कुनै तम, | ||
::न मोह माया न विरोध | ::न मोह माया न विरोध विभ्रम ॥ | ||
न आश या त्रास, न भास, भर्मन | न आश या त्रास, न भास, भर्मन | ||
::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ |
Latest revision as of 10:14, 28 April 2025
This page has been validated
विचारको तार चढ्यो जती जती
मलाइ आश्चर्य बढ्यो उती उती ॥
न शक्तछू तर्कन वा न फर्कन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
७२
अखण्ड त्यो वास कहाँ महोज्ज्वल !
कहाँ भली-भण्ड समुद्र यो तल ॥
भयेछ कस्तो कुन उग्र भर्मन ?
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
७३
प्रकाशको केन्द्र महेन्द्र धामको
प्रणम्य, वासस्थल रम्य रामको ॥
स्वरूप-सिंहासन त्यो म भुल्दिन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
७४
वहाँ न गाढा 'त म' को कुनै तम,
न मोह माया न विरोध विभ्रम ॥
न आश या त्रास, न भास, भर्मन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
७५