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→Not proofread: Created page with "<noinclude>{{start center block}}</noinclude> <poem> सुनेर यस्तो म भयें गुटूमुटू परन्तु चस्क्यो फिर चश्चसी मुटू ॥ खुल्यो तुरुन्तै भय-भीत लोचन तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ {{pcn|५६}} विशाल उत्ताल-तरङ्ग सागर झलक्क देखे..." |
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सुनेर यस्तो म भयें गुटूमुटू | सुनेर यस्तो म भयें गुटूमुटू | ||
परन्तु चस्क्यो फिर चश्चसी मुटू ॥ | ::परन्तु चस्क्यो फिर चश्चसी मुटू ॥ | ||
खुल्यो तुरुन्तै भय-भीत लोचन | खुल्यो तुरुन्तै भय-भीत लोचन | ||
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ||
{{pcn|५६}} | {{pcn|५६}} | ||
विशाल उत्ताल-तरङ्ग सागर | विशाल उत्ताल-तरङ्ग सागर | ||
झलक्क देखें गहिरी भयङ्कर ॥ | ::झलक्क देखें गहिरी भयङ्कर ॥ | ||
शरीर थाल्यो सब थर्थराउन | शरीर थाल्यो सब थर्थराउन | ||
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ||
{{pcn|५७}} | {{pcn|५७}} | ||
न साँध-सीमा न त वार पार छ | न साँध-सीमा न त वार पार छ | ||
गंभीरताको न कुनै किनार छ ॥ | ::गंभीरताको न कुनै किनार छ ॥ | ||
मडारिएको समतुल्ल भैकन | मडारिएको समतुल्ल भैकन | ||
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ||
{{pcn|५८}} | {{pcn|५८}} | ||
अमर्त्य-गङ्गातिर बाहुली सरी | अमर्त्य-गङ्गातिर बाहुली सरी | ||
उठाउँदै दीर्घ तरङ्ग-माधुरी ॥ | ::उठाउँदै दीर्घ तरङ्ग-माधुरी ॥ | ||
गरी-रहेको प्रणयाऽऽवलोकन | गरी-रहेको प्रणयाऽऽवलोकन | ||
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ||
{{pcn|५९}} | {{pcn|५९}} | ||
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Revision as of 09:53, 17 April 2025
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सुनेर यस्तो म भयें गुटूमुटू
परन्तु चस्क्यो फिर चश्चसी मुटू ॥
खुल्यो तुरुन्तै भय-भीत लोचन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
५६
विशाल उत्ताल-तरङ्ग सागर
झलक्क देखें गहिरी भयङ्कर ॥
शरीर थाल्यो सब थर्थराउन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
५७
न साँध-सीमा न त वार पार छ
गंभीरताको न कुनै किनार छ ॥
मडारिएको समतुल्ल भैकन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
५८
अमर्त्य-गङ्गातिर बाहुली सरी
उठाउँदै दीर्घ तरङ्ग-माधुरी ॥
गरी-रहेको प्रणयाऽऽवलोकन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
५९