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→Not proofread: Created page with "<noinclude>{{start center block}}</noinclude> <poem> यता महासिन्धु महा भयावह असाध्य नीलो नभको उता दह ॥ थियेन आधार, गुहार, सान्त्वन तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ {{pcn|६४}} कठै !! म सानू तृण झै बतासमा भयें विपत्ता बिचरो अत्..." |
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यता महासिन्धु महा भयावह | यता महासिन्धु महा भयावह | ||
असाध्य नीलो नभको उता दह ॥ | ::असाध्य नीलो नभको उता दह ॥ | ||
थियेन आधार, गुहार, सान्त्वन | थियेन आधार, गुहार, सान्त्वन | ||
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ||
{{pcn|६४}} | {{pcn|६४}} | ||
कठै !! म सानू तृण झै बतासमा | कठै !! म सानू तृण झै बतासमा | ||
भयें विपत्ता बिचरो अत्यासमा ॥ | ::भयें विपत्ता बिचरो अत्यासमा ॥ | ||
शकिन्न त्यो दुःख सबै बताउन | शकिन्न त्यो दुःख सबै बताउन | ||
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ||
{{pcn|६५}} | {{pcn|६५}} | ||
कतै लडें, फूत्त कतै उचालियें | कतै लडें, फूत्त कतै उचालियें | ||
कतै गडें, हूत्त त्त कतै म फालियें ॥ | ::कतै गडें, हूत्त त्त कतै म फालियें ॥ | ||
कतै म घुप्लुक्क भयें, अतालियें | कतै म घुप्लुक्क भयें, अतालियें | ||
कताकताबाट कतै पतालियें ! ॥ | ::कताकताबाट कतै पतालियें ! ॥ | ||
{{pcn|६६}} | {{pcn|६६}} | ||
उठेर ठाडै म कतै बतासियें | उठेर ठाडै म कतै बतासियें | ||
कतै गला बन्द भयो निसासियें ॥ | ::कतै गला बन्द भयो निसासियें ॥ | ||
कतै गरें घोर तरङ्ग लङ्घन | कतै गरें घोर तरङ्ग लङ्घन | ||
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ||
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Revision as of 09:53, 17 April 2025
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यता महासिन्धु महा भयावह
असाध्य नीलो नभको उता दह ॥
थियेन आधार, गुहार, सान्त्वन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
६४
कठै !! म सानू तृण झै बतासमा
भयें विपत्ता बिचरो अत्यासमा ॥
शकिन्न त्यो दुःख सबै बताउन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
६५
कतै लडें, फूत्त कतै उचालियें
कतै गडें, हूत्त त्त कतै म फालियें ॥
कतै म घुप्लुक्क भयें, अतालियें
कताकताबाट कतै पतालियें ! ॥
६६
उठेर ठाडै म कतै बतासियें
कतै गला बन्द भयो निसासियें ॥
कतै गरें घोर तरङ्ग लङ्घन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
६७