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अनन्त तारा, ग्रह, सूर्य, चन्द्रमा | अनन्त तारा, ग्रह, सूर्य, चन्द्रमा | ||
बनी उज्याला जसका प्रकाशमा ॥ | ::बनी उज्याला जसका प्रकाशमा ॥ | ||
घुमी रहेछन् अणु तुल्य भैकन | घुमी रहेछन् अणु तुल्य भैकन | ||
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ||
{{pcn|८०}} | {{pcn|८०}} | ||
प्रपञ्चभन्दा फरकै भए पनि | प्रपञ्चभन्दा फरकै भए पनि | ||
प्रपञ्चको जीवनभित्र जीवनी ॥ | ::प्रपञ्चको जीवनभित्र जीवनी ॥ | ||
भरी रहेको छ बडो विलक्षण | भरी रहेको छ बडो विलक्षण | ||
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ||
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जती बढायो उस धाममा गम | जती बढायो उस धाममा गम | ||
उती सदा त्यो गमको छ दुर्गम ॥ | ::उती सदा त्यो गमको छ दुर्गम ॥ | ||
हुँदैन कत्ती पनि चल्बलाउन | हुँदैन कत्ती पनि चल्बलाउन | ||
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ||
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झलक्क झल्को जसको जती जती | झलक्क झल्को जसको जती जती | ||
म पाउँछू, मुग्ध बनी उती उती ॥ | ::म पाउँछू, मुग्ध बनी उती उती ॥ | ||
खिंचिन्छ सोझै उसतर्फ जीवन | खिंचिन्छ सोझै उसतर्फ जीवन | ||
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ||
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अनन्त तारा, ग्रह, सूर्य, चन्द्रमा
बनी उज्याला जसका प्रकाशमा ॥
घुमी रहेछन् अणु तुल्य भैकन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
८०
प्रपञ्चभन्दा फरकै भए पनि
प्रपञ्चको जीवनभित्र जीवनी ॥
भरी रहेको छ बडो विलक्षण
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
८१
जती बढायो उस धाममा गम
उती सदा त्यो गमको छ दुर्गम ॥
हुँदैन कत्ती पनि चल्बलाउन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
८२
झलक्क झल्को जसको जती जती
म पाउँछू, मुग्ध बनी उती उती ॥
खिंचिन्छ सोझै उसतर्फ जीवन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
८३