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हात गोडा सबै बाँधी झोक्रिन्छ जगतै सब। | हात गोडा सबै बाँधी झोक्रिन्छ जगतै सब। | ||
हुस्सूका माझमा फुस्स हुन्छ कर्तव्यगौरव।। | हुस्सूका माझमा फुस्स हुन्छ कर्तव्यगौरव।। | ||
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दिन हेमन्तका साह्रै खियेका छन् कठैबरी | दिन हेमन्तका साह्रै खियेका छन् कठैबरी | ||
धर्मभीरु, दयापूर्ण निर्लोभी सज्जनैसरी।। | धर्मभीरु, दयापूर्ण निर्लोभी सज्जनैसरी।। | ||
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बारुलाले सरी हर्दम्, ठण्डीले उग्र चिल्दछ। | बारुलाले सरी हर्दम्, ठण्डीले उग्र चिल्दछ। | ||
भाग्यले औषधीतुल्य पाहार तर मिल्दछ।। | भाग्यले औषधीतुल्य पाहार तर मिल्दछ।। | ||
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यद्गदाऽऽकार भै बस्छ दुनियाँ सब घाममा। | यद्गदाऽऽकार भै बस्छ दुनियाँ सब घाममा। | ||
योगारूढ महात्मा झैं दिव्य कैवल्यधाममा।। | योगारूढ महात्मा झैं दिव्य कैवल्यधाममा।। | ||
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जस्तो पाहारमा प्रेम दुनियाँको छ हालमा। | जस्तो पाहारमा प्रेम दुनियाँको छ हालमा। | ||
उत्तिको प्रेम के होला अन्त यो सृष्टिजालमा?।। | उत्तिको प्रेम के होला अन्त यो सृष्टिजालमा?।। | ||
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पाहाररूप यो दिव्य शीतसंहारसाधन। | पाहाररूप यो दिव्य शीतसंहारसाधन। | ||
ठूला साना सबैलाई जीवनीको ठुलो धन।। | ठूला साना सबैलाई जीवनीको ठुलो धन।। | ||
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लिँदालिंदैमा स्वर्गीय शान्ति पाहारमा बसी। | लिँदालिंदैमा स्वर्गीय शान्ति पाहारमा बसी। | ||
खडा हुन्छे कडा काली तत्कालै रात्रिराक्षसी।। | खडा हुन्छे कडा काली तत्कालै रात्रिराक्षसी।। | ||
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निस्की कलमुखी रात्रि जहाँ शूर्पणखासरी। | निस्की कलमुखी रात्रि जहाँ शूर्पणखासरी। | ||
जानकी पद्मिनीलाई वहाँ बाधा कठैबरी।। | जानकी पद्मिनीलाई वहाँ बाधा कठैबरी।। | ||
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रामाऽऽत्मा रविले रात्रिराक्षसीको चुरीफुरी। | रामाऽऽत्मा रविले रात्रिराक्षसीको चुरीफुरी। | ||
पाहारखड्गले हर्दा चल्यो अर्कै कडा हुरी।। | पाहारखड्गले हर्दा चल्यो अर्कै कडा हुरी।। | ||
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Revision as of 08:15, 10 April 2025
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५२
हात गोडा सबै बाँधी झोक्रिन्छ जगतै सब।
हुस्सूका माझमा फुस्स हुन्छ कर्तव्यगौरव।।
५३
दिन हेमन्तका साह्रै खियेका छन् कठैबरी
धर्मभीरु, दयापूर्ण निर्लोभी सज्जनैसरी।।
५४
बारुलाले सरी हर्दम्, ठण्डीले उग्र चिल्दछ।
भाग्यले औषधीतुल्य पाहार तर मिल्दछ।।
५५
यद्गदाऽऽकार भै बस्छ दुनियाँ सब घाममा।
योगारूढ महात्मा झैं दिव्य कैवल्यधाममा।।
५६
जस्तो पाहारमा प्रेम दुनियाँको छ हालमा।
उत्तिको प्रेम के होला अन्त यो सृष्टिजालमा?।।
५७
पाहाररूप यो दिव्य शीतसंहारसाधन।
ठूला साना सबैलाई जीवनीको ठुलो धन।।
५८
लिँदालिंदैमा स्वर्गीय शान्ति पाहारमा बसी।
खडा हुन्छे कडा काली तत्कालै रात्रिराक्षसी।।
५९
निस्की कलमुखी रात्रि जहाँ शूर्पणखासरी।
जानकी पद्मिनीलाई वहाँ बाधा कठैबरी।।
६०
रामाऽऽत्मा रविले रात्रिराक्षसीको चुरीफुरी।
पाहारखड्गले हर्दा चल्यो अर्कै कडा हुरी।।