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तेस्ता प्रचण्ड तेजस्वी सूर्यको त्यो अधोगति। | तेस्ता प्रचण्ड तेजस्वी सूर्यको त्यो अधोगति। | ||
देखी हृदयले भन्छ अभिमान नले रती।। | देखी हृदयले भन्छ अभिमान नले रती।। | ||
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वर्षामा मेघले ज्यादा दबायेका दिवाकर। | वर्षामा मेघले ज्यादा दबायेका दिवाकर। | ||
अत्यासले गलेछन् कि? चलेछन् कि उँधोतिर?।। | अत्यासले गलेछन् कि? चलेछन् कि उँधोतिर?।। | ||
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धैर्यको शान्तिको दिव्य नमूनातुल्य निश्चल। | धैर्यको शान्तिको दिव्य नमूनातुल्य निश्चल। | ||
अघिभन्दा पनी ज्यादा उज्यालो छ हिमाचल।। | अघिभन्दा पनी ज्यादा उज्यालो छ हिमाचल।। | ||
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हिमका चुचुरा सारा साह्रै स्वच्छ मनोरम। | हिमका चुचुरा सारा साह्रै स्वच्छ मनोरम। | ||
देखिन्छन् आत्मविद्याका सिद्धान्तसरि दुर्गम।। | देखिन्छन् आत्मविद्याका सिद्धान्तसरि दुर्गम।। | ||
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बिहानै शिरमा पर्दा सूर्यको किरणाऽऽवली। | बिहानै शिरमा पर्दा सूर्यको किरणाऽऽवली। | ||
मूर्तिधारी तपस्वी झैं झल्कन्छन् हिमका चुली।। | मूर्तिधारी तपस्वी झैं झल्कन्छन् हिमका चुली।। | ||
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हिमालका पखेरामा तलै लत्रे पयोधर। | हिमालका पखेरामा तलै लत्रे पयोधर। | ||
शिवका कटिको लम्बा बाघाम्बरबराबर।। | शिवका कटिको लम्बा बाघाम्बरबराबर।। | ||
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निस्कँदा पद्मिनीनाथ छिचोली मेघको वन। | निस्कँदा पद्मिनीनाथ छिचोली मेघको वन। | ||
मुसुक्क पद्मिनी हाँसे खुशीले दङ्ग भैकन।। | मुसुक्क पद्मिनी हाँसे खुशीले दङ्ग भैकन।। | ||
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देखिन्छ अघिको भन्दा राम्रो कमलसंहति। | देखिन्छ अघिको भन्दा राम्रो कमलसंहति। | ||
चर्को विनाशबेलाको बत्ती झैं विमलद्युति।। | चर्को विनाशबेलाको बत्ती झैं विमलद्युति।। | ||
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थुँगा कमलका राम्रा देखिन्छन् पोखरीभरी। | थुँगा कमलका राम्रा देखिन्छन् पोखरीभरी। | ||
आकण्ठ जलमा मग्न अप्सराका मुखैसरी।। | आकण्ठ जलमा मग्न अप्सराका मुखैसरी।। | ||
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Revision as of 08:04, 10 April 2025
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४३
तेस्ता प्रचण्ड तेजस्वी सूर्यको त्यो अधोगति।
देखी हृदयले भन्छ अभिमान नले रती।।
४४
वर्षामा मेघले ज्यादा दबायेका दिवाकर।
अत्यासले गलेछन् कि? चलेछन् कि उँधोतिर?।।
४५
धैर्यको शान्तिको दिव्य नमूनातुल्य निश्चल।
अघिभन्दा पनी ज्यादा उज्यालो छ हिमाचल।।
४६
हिमका चुचुरा सारा साह्रै स्वच्छ मनोरम।
देखिन्छन् आत्मविद्याका सिद्धान्तसरि दुर्गम।।
४७
बिहानै शिरमा पर्दा सूर्यको किरणाऽऽवली।
मूर्तिधारी तपस्वी झैं झल्कन्छन् हिमका चुली।।
४८
हिमालका पखेरामा तलै लत्रे पयोधर।
शिवका कटिको लम्बा बाघाम्बरबराबर।।
४९
निस्कँदा पद्मिनीनाथ छिचोली मेघको वन।
मुसुक्क पद्मिनी हाँसे खुशीले दङ्ग भैकन।।
५०
देखिन्छ अघिको भन्दा राम्रो कमलसंहति।
चर्को विनाशबेलाको बत्ती झैं विमलद्युति।।
५१
थुँगा कमलका राम्रा देखिन्छन् पोखरीभरी।
आकण्ठ जलमा मग्न अप्सराका मुखैसरी।।