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नदीका जलले छोड्यो सारा बगर सुस्तरी। | नदीका जलले छोड्यो सारा बगर सुस्तरी। | ||
ज्ञानीका मनले तुच्छ भोगको वासनासरी।। | ज्ञानीका मनले तुच्छ भोगको वासनासरी।। | ||
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चुल्ठोसमान लर्केकी नदीको मझधार छ। | चुल्ठोसमान लर्केकी नदीको मझधार छ। | ||
आनन्दी हंसको ताँती मानू सुन्दर हार छ।। | आनन्दी हंसको ताँती मानू सुन्दर हार छ।। | ||
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आखासमान झल्कन्छ माछाको परिवर्तन। | आखासमान झल्कन्छ माछाको परिवर्तन। | ||
गहिरो भुमरीरूप नाभि देखिन्छ शोभन।। | गहिरो भुमरीरूप नाभि देखिन्छ शोभन।। | ||
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हलुका लहरी हात, गाना कलकलध्वनि। | हलुका लहरी हात, गाना कलकलध्वनि। | ||
नचरी लाउँदै चल्छन् नदी सागरगामिनी।। | नचरी लाउँदै चल्छन् नदी सागरगामिनी।। | ||
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शरत्का सङ्गले सङ्ले धमिला पोखरी सब। | शरत्का सङ्गले सङ्ले धमिला पोखरी सब। | ||
सत्सङ्गको सफा रङ्ग सबैमा पर्छ वास्तव।। | सत्सङ्गको सफा रङ्ग सबैमा पर्छ वास्तव।। | ||
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वृक्ष, पर्वत, आकाश गर्व सौन्दर्यको गरी। | वृक्ष, पर्वत, आकाश गर्व सौन्दर्यको गरी। | ||
पानीमा हेर्न लागे कि आफनू मुखमाधुरी?।। | पानीमा हेर्न लागे कि आफनू मुखमाधुरी?।। | ||
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शनैः शनैः फिका पारी अघिको तेजिलोपन। | शनैः शनैः फिका पारी अघिको तेजिलोपन। | ||
विप्र झैं दक्षिणाऽऽशामा लागे श्रीसूर्य लत्रन।। | विप्र झैं दक्षिणाऽऽशामा लागे श्रीसूर्य लत्रन।। | ||
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कन्यालङ्घन भो भन्ने सङ्कोचैले अलीकति। | कन्यालङ्घन भो भन्ने सङ्कोचैले अलीकति। | ||
झुकेका हुन् कि लाचारीसाथ ती पद्मिनीपति?।। | झुकेका हुन् कि लाचारीसाथ ती पद्मिनीपति?।। | ||
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दिननाथै उँधो लत्रे, दिनको के कुरा छ र? | दिननाथै उँधो लत्रे, दिनको के कुरा छ र? | ||
जहाँसुकै पनी हुन्छ स्वामीमाफिक नोकर।। | जहाँसुकै पनी हुन्छ स्वामीमाफिक नोकर।। | ||
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Revision as of 08:03, 10 April 2025
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३४
नदीका जलले छोड्यो सारा बगर सुस्तरी।
ज्ञानीका मनले तुच्छ भोगको वासनासरी।।
३५
चुल्ठोसमान लर्केकी नदीको मझधार छ।
आनन्दी हंसको ताँती मानू सुन्दर हार छ।।
३६
आखासमान झल्कन्छ माछाको परिवर्तन।
गहिरो भुमरीरूप नाभि देखिन्छ शोभन।।
३७
हलुका लहरी हात, गाना कलकलध्वनि।
नचरी लाउँदै चल्छन् नदी सागरगामिनी।।
३८
शरत्का सङ्गले सङ्ले धमिला पोखरी सब।
सत्सङ्गको सफा रङ्ग सबैमा पर्छ वास्तव।।
३९
वृक्ष, पर्वत, आकाश गर्व सौन्दर्यको गरी।
पानीमा हेर्न लागे कि आफनू मुखमाधुरी?।।
४०
शनैः शनैः फिका पारी अघिको तेजिलोपन।
विप्र झैं दक्षिणाऽऽशामा लागे श्रीसूर्य लत्रन।।
४१
कन्यालङ्घन भो भन्ने सङ्कोचैले अलीकति।
झुकेका हुन् कि लाचारीसाथ ती पद्मिनीपति?।।
४२
दिननाथै उँधो लत्रे, दिनको के कुरा छ र?
जहाँसुकै पनी हुन्छ स्वामीमाफिक नोकर।।