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सानातिना नदीनाला नामशेष बने सब। | सानातिना नदीनाला नामशेष बने सब। | ||
विना गाम्भीर्यको व्यक्ति रहन्थ्यो तापमा कब?।। | विना गाम्भीर्यको व्यक्ति रहन्थ्यो तापमा कब?।। | ||
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देखिन्छ उनमा तातो बलौटे अब केवल। | देखिन्छ उनमा तातो बलौटे अब केवल। | ||
विरसी मूर्खको क्रूर चित्त झैं धर्मसङ्कुल।। | विरसी मूर्खको क्रूर चित्त झैं धर्मसङ्कुल।। | ||
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बालुवा टेकनासाथ पैतालाकन पोल्दछ। | बालुवा टेकनासाथ पैतालाकन पोल्दछ। | ||
पादप्रहारको मानू जवाफै स्पष्ट बोल्दछ।। | पादप्रहारको मानू जवाफै स्पष्ट बोल्दछ।। | ||
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टाढा टिलपिलायेको जल जस्तै मनोहर। | टाढा टिलपिलायेको जल जस्तै मनोहर। | ||
मसिना बालुवामाथि झल्कन्छन् सूर्यका कर।। | मसिना बालुवामाथि झल्कन्छन् सूर्यका कर।। | ||
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विशाल मृगतृष्णा त्यो झल्कँदा दूर चम्चम। | विशाल मृगतृष्णा त्यो झल्कँदा दूर चम्चम। | ||
देखिने व्यक्तिमा पर्छ बडो आश्चर्यको भ्रम।। | देखिने व्यक्तिमा पर्छ बडो आश्चर्यको भ्रम।। | ||
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कुनै त्यो मृगतृष्णामा चाँदीको भाव धर्दछ। | कुनै त्यो मृगतृष्णामा चाँदीको भाव धर्दछ। | ||
पानीका भानले कोही दौडँदै अगि सर्दछ।। | पानीका भानले कोही दौडँदै अगि सर्दछ।। | ||
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नगीचमा पुगी हेर्दा न त्यो चाँदी न त्यो जल। | नगीचमा पुगी हेर्दा न त्यो चाँदी न त्यो जल। | ||
झल्कन्छ आँशुका साथै कठै दुर्भाग्यको छल।। | झल्कन्छ आँशुका साथै कठै दुर्भाग्यको छल।। | ||
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घामैको डरले हो कि? ठूला नदनदी सब। | घामैको डरले हो कि? ठूला नदनदी सब। | ||
लुकाई लहरीनृत्य खस्के तलतलै अब।। | लुकाई लहरीनृत्य खस्के तलतलै अब।। | ||
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श्वासप्रश्वासका मात्र दिँदै दुःखित सूचन। | श्वासप्रश्वासका मात्र दिँदै दुःखित सूचन। | ||
गर्छन् पहाडिया खोला डण्डूरैभित्र हुन्हुन।। | गर्छन् पहाडिया खोला डण्डूरैभित्र हुन्हुन।। | ||
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Revision as of 07:37, 10 April 2025
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१७
सानातिना नदीनाला नामशेष बने सब।
विना गाम्भीर्यको व्यक्ति रहन्थ्यो तापमा कब?।।
१८
देखिन्छ उनमा तातो बलौटे अब केवल।
विरसी मूर्खको क्रूर चित्त झैं धर्मसङ्कुल।।
१९
बालुवा टेकनासाथ पैतालाकन पोल्दछ।
पादप्रहारको मानू जवाफै स्पष्ट बोल्दछ।।
२०
टाढा टिलपिलायेको जल जस्तै मनोहर।
मसिना बालुवामाथि झल्कन्छन् सूर्यका कर।।
२१
विशाल मृगतृष्णा त्यो झल्कँदा दूर चम्चम।
देखिने व्यक्तिमा पर्छ बडो आश्चर्यको भ्रम।।
२२
कुनै त्यो मृगतृष्णामा चाँदीको भाव धर्दछ।
पानीका भानले कोही दौडँदै अगि सर्दछ।।
२३
नगीचमा पुगी हेर्दा न त्यो चाँदी न त्यो जल।
झल्कन्छ आँशुका साथै कठै दुर्भाग्यको छल।।
२४
घामैको डरले हो कि? ठूला नदनदी सब।
लुकाई लहरीनृत्य खस्के तलतलै अब।।
२५
श्वासप्रश्वासका मात्र दिँदै दुःखित सूचन।
गर्छन् पहाडिया खोला डण्डूरैभित्र हुन्हुन।।