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कोही चहकिला पुष्प वासना नभये पनि। | कोही चहकिला पुष्प वासना नभये पनि। | ||
मूर्ख आडम्बरी जस्तै रूपमा छन् बडा धनी।। | मूर्ख आडम्बरी जस्तै रूपमा छन् बडा धनी।। | ||
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बगैंचा सब देखिन्छ हजारौं फूलले गरी। | बगैंचा सब देखिन्छ हजारौं फूलले गरी। | ||
वसन्तको बुटे तन्ना कसेको बैठकैसरी।। | वसन्तको बुटे तन्ना कसेको बैठकैसरी।। | ||
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कलिला पालुवामाथि बिछ्यायेर फुलैफुल। | कलिला पालुवामाथि बिछ्यायेर फुलैफुल। | ||
वसन्तश्री बसेकी छन् बनी सौन्दर्यविह्वल।। | वसन्तश्री बसेकी छन् बनी सौन्दर्यविह्वल।। | ||
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लिई सौन्दर्य माधुर्य सौकुमार्य थपी वहाँ। | लिई सौन्दर्य माधुर्य सौकुमार्य थपी वहाँ। | ||
पुष्पको सिर्जना गर्ने विधाता धन्य हो अहो।। | पुष्पको सिर्जना गर्ने विधाता धन्य हो अहो।। | ||
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रसिला फूलमा आई रसिलो दक्खिना हवा। | रसिला फूलमा आई रसिलो दक्खिना हवा। | ||
कुन कारणले होला बिस्तारै गर्छ वाहः वा।। | कुन कारणले होला बिस्तारै गर्छ वाहः वा।। | ||
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साना छुनुमुनू गर्ने बाल झैं कलिला फुल। | साना छुनुमुनू गर्ने बाल झैं कलिला फुल। | ||
ढुलुमुलु भई झुल्छन् बहँदा वायु शीतल।। | ढुलुमुलु भई झुल्छन् बहँदा वायु शीतल।। | ||
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बिस्तारै फूलका साथ खेली खेली मिलीजुली। | बिस्तारै फूलका साथ खेली खेली मिलीजुली। | ||
सुटुक्क वासना चोरी चल्छ सुस्तै हवा छली।। | सुटुक्क वासना चोरी चल्छ सुस्तै हवा छली।। | ||
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देखेर आफनै जस्तो पुष्पको रूपगौरव। | देखेर आफनै जस्तो पुष्पको रूपगौरव। | ||
मित्यारी लाउँदै फिर्छन् बागमा पुतली सब।। | मित्यारी लाउँदै फिर्छन् बागमा पुतली सब।। | ||
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फक्रेका फूल दाता झैं रसधारा लुटाउँछन्। | फक्रेका फूल दाता झैं रसधारा लुटाउँछन्। | ||
झोलामा भिक्षु झैं मौरी पालामा त्यो जुटाउँछन्।। | झोलामा भिक्षु झैं मौरी पालामा त्यो जुटाउँछन्।। | ||
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Revision as of 07:23, 10 April 2025
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३४
कोही चहकिला पुष्प वासना नभये पनि।
मूर्ख आडम्बरी जस्तै रूपमा छन् बडा धनी।।
३५
बगैंचा सब देखिन्छ हजारौं फूलले गरी।
वसन्तको बुटे तन्ना कसेको बैठकैसरी।।
३६
कलिला पालुवामाथि बिछ्यायेर फुलैफुल।
वसन्तश्री बसेकी छन् बनी सौन्दर्यविह्वल।।
३७
लिई सौन्दर्य माधुर्य सौकुमार्य थपी वहाँ।
पुष्पको सिर्जना गर्ने विधाता धन्य हो अहो।।
३८
रसिला फूलमा आई रसिलो दक्खिना हवा।
कुन कारणले होला बिस्तारै गर्छ वाहः वा।।
३९
साना छुनुमुनू गर्ने बाल झैं कलिला फुल।
ढुलुमुलु भई झुल्छन् बहँदा वायु शीतल।।
४०
बिस्तारै फूलका साथ खेली खेली मिलीजुली।
सुटुक्क वासना चोरी चल्छ सुस्तै हवा छली।।
४१
देखेर आफनै जस्तो पुष्पको रूपगौरव।
मित्यारी लाउँदै फिर्छन् बागमा पुतली सब।।
४२
फक्रेका फूल दाता झैं रसधारा लुटाउँछन्।
झोलामा भिक्षु झैं मौरी पालामा त्यो जुटाउँछन्।।