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→Not proofread: Created page with " हेमन्त सिन्धुमा घुम्दा कुइरोरूप मन्दर। जगतै कछुवा बन्छ खुम्च्याई अङ्ग जर्जर।। ३४ तेही मन्थनका छिर्का तुषाराको स्वरूपमा। बर्र बर्र सबैतर्फ वर्षेका हुन् कि विश्वमा?।। ३५ कम्ती भय..." |
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हेमन्त सिन्धुमा घुम्दा कुइरोरूप मन्दर। | हेमन्त सिन्धुमा घुम्दा कुइरोरूप मन्दर। | ||
जगतै कछुवा बन्छ खुम्च्याई अङ्ग जर्जर।। | जगतै कछुवा बन्छ खुम्च्याई अङ्ग जर्जर।। | ||
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तेही मन्थनका छिर्का तुषाराको स्वरूपमा। | तेही मन्थनका छिर्का तुषाराको स्वरूपमा। | ||
बर्र बर्र सबैतर्फ वर्षेका हुन् कि विश्वमा?।। | बर्र बर्र सबैतर्फ वर्षेका हुन् कि विश्वमा?।। | ||
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कम्ती भयो भने मैत्री शीतको कुइरोसित। | कम्ती भयो भने मैत्री शीतको कुइरोसित। | ||
तुषारो जोरले हाँस्छ खित्का छोडेर खित्खित।। | तुषारो जोरले हाँस्छ खित्का छोडेर खित्खित।। | ||
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बेलुका सुतदा अर्कै रङ्गमा सब सृष्टि छ। | बेलुका सुतदा अर्कै रङ्गमा सब सृष्टि छ। | ||
बिहान उठदा अर्कै सेताम्मे हिमवृष्टि छ।। | बिहान उठदा अर्कै सेताम्मे हिमवृष्टि छ।। | ||
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साना परालका छाना तुषारो थुप्रिँदामहाँ। | साना परालका छाना तुषारो थुप्रिँदामहाँ। | ||
सिङ्गमर्मरका जस्तै मजाका देखिने अहा।। | सिङ्गमर्मरका जस्तै मजाका देखिने अहा।। | ||
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छोपियेकी तुषाराले देखिन्छिन् भूमि यो घरी। | छोपियेकी तुषाराले देखिन्छिन् भूमि यो घरी। | ||
कुनै कपास झैं सेतै फुलेकी बुढियासरी।। | कुनै कपास झैं सेतै फुलेकी बुढियासरी।। | ||
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ठण्डीका डरले सेतो मण्डलीमा गुटूमुटू। | ठण्डीका डरले सेतो मण्डलीमा गुटूमुटू। | ||
नीदले पृथिवी देवी बनीछन् की लुटूपुटू?।। | नीदले पृथिवी देवी बनीछन् की लुटूपुटू?।। | ||
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खात हो वा तुषाराको यद्वा दुःखप्रपात हो? | खात हो वा तुषाराको यद्वा दुःखप्रपात हो? | ||
फुस्रा हेमन्तको यद्वा फुस्रो दुःसह लात हो?।। | फुस्रा हेमन्तको यद्वा फुस्रो दुःसह लात हो?।। | ||
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तुषाराका तिखा सेता काँढा हान्दै पछिल्तिर। | तुषाराका तिखा सेता काँढा हान्दै पछिल्तिर। | ||
रात्रिदुम्सी घुस्यो यद्वा पश्चिमाऽद्रिगुफातिर।। | रात्रिदुम्सी घुस्यो यद्वा पश्चिमाऽद्रिगुफातिर।। | ||
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Revision as of 09:29, 9 April 2025
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हेमन्त सिन्धुमा घुम्दा कुइरोरूप मन्दर।
जगतै कछुवा बन्छ खुम्च्याई अङ्ग जर्जर।।
तेही मन्थनका छिर्का तुषाराको स्वरूपमा।
बर्र बर्र सबैतर्फ वर्षेका हुन् कि विश्वमा?।।
कम्ती भयो भने मैत्री शीतको कुइरोसित।
तुषारो जोरले हाँस्छ खित्का छोडेर खित्खित।।
बेलुका सुतदा अर्कै रङ्गमा सब सृष्टि छ।
बिहान उठदा अर्कै सेताम्मे हिमवृष्टि छ।।
साना परालका छाना तुषारो थुप्रिँदामहाँ।
सिङ्गमर्मरका जस्तै मजाका देखिने अहा।।
छोपियेकी तुषाराले देखिन्छिन् भूमि यो घरी।
कुनै कपास झैं सेतै फुलेकी बुढियासरी।।
ठण्डीका डरले सेतो मण्डलीमा गुटूमुटू।
नीदले पृथिवी देवी बनीछन् की लुटूपुटू?।।
खात हो वा तुषाराको यद्वा दुःखप्रपात हो?
फुस्रा हेमन्तको यद्वा फुस्रो दुःसह लात हो?।।
तुषाराका तिखा सेता काँढा हान्दै पछिल्तिर।
रात्रिदुम्सी घुस्यो यद्वा पश्चिमाऽद्रिगुफातिर।।