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अनसूया तथा 'चारु' अर्की एक प्रियम्बदा । | |||
::खेल्थे साथी भई तीन हाँगामा पुष्प कें बनी ॥ | |||
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रानी पारी तिनैलाई ताज फूल बनाउँदे। | |||
::सिंगारी नाच्यये आफू, मानो विपिनका परी ॥ | |||
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वसुन्धरा कतै नाच्छे कते "छम् छम् छनानना ।" | |||
::पुष्पका तालमा नाच्थे सुखतुल्य सबै जना ॥ | |||
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यस्तै लीला बाल्यमा चारु खेली। | |||
::मीठो पाई सौख्य जस्ती हवेली ॥ | |||
चोरी गाना मालिनीका उज्याली। | |||
::बद्धिन् हाम्री अप्सरारूपवाली ॥ | |||
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जूनै जूनैबाट मानो , कुंदेकी। | |||
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राता गाला दीर्घ आँखा उज्याला।' | |||
::विश्वश्री प्रातमा चारुचाला ॥ | |||
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बढ़चिन् हामरी बालिका दिव्य राम्री। | |||
::तोते बोली अप्सरा शब्द घोली ॥ | |||
फुप्रोलाई थुप्रो जुहार। | |||
::जस्तो पारी रूप भारी कुमारी ॥ | |||
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Revision as of 17:03, 17 February 2025
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(अनुष्टुप्)
अनसूया तथा 'चारु' अर्की एक प्रियम्बदा ।
खेल्थे साथी भई तीन हाँगामा पुष्प कें बनी ॥
(४६)
रानी पारी तिनैलाई ताज फूल बनाउँदे।
सिंगारी नाच्यये आफू, मानो विपिनका परी ॥
(४७)
वसुन्धरा कतै नाच्छे कते "छम् छम् छनानना ।"
पुष्पका तालमा नाच्थे सुखतुल्य सबै जना ॥
(४८)
बिहा गरेर ती खेल्ये 'चारु' राजा बनीकन।
रानी शकुन्तला बन्धिन् प्रजा बन्थे अरू जन ॥
(४९)
(शालिनी)
यस्तै लीला बाल्यमा चारु खेली।
मीठो पाई सौख्य जस्ती हवेली ॥
चोरी गाना मालिनीका उज्याली।
बद्धिन् हाम्री अप्सरारूपवाली ॥
(५०)
जूनै जूनैबाट मानो , कुंदेकी।
फूलै फूलैबाट मानो बनेकी ॥
राता गाला दीर्घ आँखा उज्याला।'
विश्वश्री प्रातमा चारुचाला ॥
(५१)
बढ़चिन् हामरी बालिका दिव्य राम्री।
तोते बोली अप्सरा शब्द घोली ॥
फुप्रोलाई थुप्रो जुहार।
जस्तो पारी रूप भारी कुमारी ॥
(५२)