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::धोयो पखाल्यो पशुभाव सारा | |||
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::फुक्तै गयो जागृतिको खलाँती | |||
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ओडारको वा वनको निवास | |||
::विकासको हेतु बन्यो र खा | |||
मस्तिष्कको कोष शनैः फुकायो | |||
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प्रपञ्जको भासक सत्य सत्ता | |||
::समाधिका साथ लगाइ पत्ता | |||
त्यो गद्गदाऽऽकार बन्यो र फेरि | |||
::क्यै घोरियो जीवन-लक्ष्य हेरी | |||
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यो विश्वको केन्द्र महेन्द्र-धाम | |||
::त्यस्को नियन्ता परिपूर्ण राम | |||
जस्ले मनोमन्दिरमा निहार्यो | |||
::सर्व शिवं शान्तमिदं पुकार्यो | |||
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Revision as of 11:53, 18 May 2025
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(४)
बगाइ चौतर्फि सुधार-धारा
धोयो पखाल्यो पशुभाव सारा
उद्बुद्ध त्यो उज्ज्वल आर्यजाति
फुक्तै गयो जागृतिको खलाँती
(५)
ओडारको वा वनको निवास
विकासको हेतु बन्यो र खा
मस्तिष्कको कोष शनैः फुकायो
आर्यत्वको तत्त्व निगूढ पायो
(६)
प्रपञ्जको भासक सत्य सत्ता
समाधिका साथ लगाइ पत्ता
त्यो गद्गदाऽऽकार बन्यो र फेरि
क्यै घोरियो जीवन-लक्ष्य हेरी
(७)
यो विश्वको केन्द्र महेन्द्र-धाम
त्यस्को नियन्ता परिपूर्ण राम
जस्ले मनोमन्दिरमा निहार्यो
सर्व शिवं शान्तमिदं पुकार्यो