Page:Tarun tapasi.pdf/119: Difference between revisions
→Not proofread: Created page with "<noinclude>{{start center block}}</noinclude> <poem> {{pcn|९}} नगीचै त्यै मीठो ध्वनि जलदको साऽऽदर सुनी ::लतावृक्षद्वारा प्रणयवश रोमाऽऽञ्चित बनी। धरा फेरी हाँसिन्, कुसुमरस वा सौरभ घना ::थियो मानू सानू मधुर उनको हास्यरचन..." |
No edit summary |
||
Page body (to be transcluded): | Page body (to be transcluded): | ||
Line 3: | Line 3: | ||
{{pcn|९}} | {{pcn|९}} | ||
नगीचै त्यै मीठो ध्वनि जलदको साऽऽदर सुनी | नगीचै त्यै मीठो ध्वनि जलदको साऽऽदर सुनी | ||
::लतावृक्षद्वारा प्रणयवश रोमाऽऽञ्चित | ::लतावृक्षद्वारा प्रणयवश रोमाऽऽञ्चित बनी । | ||
धरा फेरी हाँसिन्, कुसुमरस वा सौरभ घना | धरा फेरी हाँसिन्, कुसुमरस वा सौरभ घना | ||
::थियो मानू सानू मधुर उनको | ::थियो मानू सानू मधुर उनको हास्यरचना ॥ | ||
{{pcn|१०}} | {{pcn|१०}} | ||
हवा चाहीं बाठो चटकपटु जादूगर बनी | हवा चाहीं बाठो चटकपटु जादूगर बनी | ||
::लुकी निक्कै हाँस्यो, मुसुमुसु हँसायो फुल | ::लुकी निक्कै हाँस्यो, मुसुमुसु हँसायो फुल पनि । | ||
छुट्यो घुम्टी, हाँसे मुदित मुख पारीकन दिशा | छुट्यो घुम्टी, हाँसे मुदित मुख पारीकन दिशा | ||
::कुना लागी मस्के अलिकति लजायेर | ::कुना लागी मस्के अलिकति लजायेर विदिशा ॥ | ||
{{pcn|११}} | {{pcn|११}} | ||
मिहीं सेतो दन्तद्युति तुहिनको दर्शित गरी | मिहीं सेतो दन्तद्युति तुहिनको दर्शित गरी | ||
::सबै हाँसे खोली मुखमय दरी उन्नत | ::सबै हाँसे खोली मुखमय दरी उन्नत गरी । | ||
नदी, नाला, झर्ना सब मधुर खित्कामय थिये | नदी, नाला, झर्ना सब मधुर खित्कामय थिये | ||
::तिनैले त्यो शोभा अझ डबल चर्को | ::तिनैले त्यो शोभा अझ डबल चर्को गरिदिये ॥ | ||
{{pcn|१२}} | {{pcn|१२}} | ||
जवानी उर्लेका हँसमुख ठिटीतुल्य सब ती | जवानी उर्लेका हँसमुख ठिटीतुल्य सब ती | ||
::नदी, नाला, झर्ना लिइकन बडो चञ्चल | ::नदी, नाला, झर्ना लिइकन बडो चञ्चल गति । | ||
घुमी नाच्दै कुद्दै अभयसित थाले छिहिलिन | घुमी नाच्दै कुद्दै अभयसित थाले छिहिलिन | ||
::चले हाँस्तै हाँस्तै, जलधिसित भो मस्त | ::चले हाँस्तै हाँस्तै, जलधिसित भो मस्त मिलन ॥ | ||
{{pcn|१३}} | {{pcn|१३}} | ||
फिँजारी फैलाई प्रबल रसिला बाहुलहरी | फिँजारी फैलाई प्रबल रसिला बाहुलहरी | ||
::अँगाली जम्बै ती तरुण वयले मुग्ध | ::अँगाली जम्बै ती तरुण वयले मुग्ध नखरी । | ||
लडी खित्का छोडी जलधि पनि हाँस्यो हिलिलिली | लडी खित्का छोडी जलधि पनि हाँस्यो हिलिलिली | ||
::खिंची उस्को पानी रविकिरण हाँसे अझ | ::खिंची उस्को पानी रविकिरण हाँसे अझ बली ॥ | ||
{{pcn|१४}} | {{pcn|१४}} | ||
ठुला साना प्राणी, मनुज, पशु, पक्षी, कृमितक | ठुला साना प्राणी, मनुज, पशु, पक्षी, कृमितक | ||
::सबै हाँसे, हाँस्यो समयगति खोलेर | ::सबै हाँसे, हाँस्यो समयगति खोलेर पलक । | ||
धमीलो भोगाऽऽशा सकलतिर हाँस्यो र सबको | धमीलो भोगाऽऽशा सकलतिर हाँस्यो र सबको | ||
::हँसायो चौतर्फी क्षणिक सुखसौन्दर्य | ::हँसायो चौतर्फी क्षणिक सुखसौन्दर्य भवको ॥ | ||
</poem> | </poem> | ||
<noinclude>{{end center block}}</noinclude> | <noinclude>{{end center block}}</noinclude> |
Revision as of 21:12, 6 May 2025
९
नगीचै त्यै मीठो ध्वनि जलदको साऽऽदर सुनी
लतावृक्षद्वारा प्रणयवश रोमाऽऽञ्चित बनी ।
धरा फेरी हाँसिन्, कुसुमरस वा सौरभ घना
थियो मानू सानू मधुर उनको हास्यरचना ॥
१०
हवा चाहीं बाठो चटकपटु जादूगर बनी
लुकी निक्कै हाँस्यो, मुसुमुसु हँसायो फुल पनि ।
छुट्यो घुम्टी, हाँसे मुदित मुख पारीकन दिशा
कुना लागी मस्के अलिकति लजायेर विदिशा ॥
११
मिहीं सेतो दन्तद्युति तुहिनको दर्शित गरी
सबै हाँसे खोली मुखमय दरी उन्नत गरी ।
नदी, नाला, झर्ना सब मधुर खित्कामय थिये
तिनैले त्यो शोभा अझ डबल चर्को गरिदिये ॥
१२
जवानी उर्लेका हँसमुख ठिटीतुल्य सब ती
नदी, नाला, झर्ना लिइकन बडो चञ्चल गति ।
घुमी नाच्दै कुद्दै अभयसित थाले छिहिलिन
चले हाँस्तै हाँस्तै, जलधिसित भो मस्त मिलन ॥
१३
फिँजारी फैलाई प्रबल रसिला बाहुलहरी
अँगाली जम्बै ती तरुण वयले मुग्ध नखरी ।
लडी खित्का छोडी जलधि पनि हाँस्यो हिलिलिली
खिंची उस्को पानी रविकिरण हाँसे अझ बली ॥
१४
ठुला साना प्राणी, मनुज, पशु, पक्षी, कृमितक
सबै हाँसे, हाँस्यो समयगति खोलेर पलक ।
धमीलो भोगाऽऽशा सकलतिर हाँस्यो र सबको
हँसायो चौतर्फी क्षणिक सुखसौन्दर्य भवको ॥