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खुले उद्योगीका शुभ दिवस जस्तै दश दिशा | खुले उद्योगीका शुभ दिवस जस्तै दश दिशा | ||
::निशाभन्दा राम्रा दिवस, दिनभन्दा अझ | ::निशाभन्दा राम्रा दिवस, दिनभन्दा अझ निशा । | ||
शरत्को शोभाले सब मलिनता दोष दबियो | शरत्को शोभाले सब मलिनता दोष दबियो | ||
::अहा द्यावापृथ्वीमय भुवन यो कञ्चन | ::अहा द्यावापृथ्वीमय भुवन यो कञ्चन भयो ॥ | ||
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तपस्याको छाया भुवनभर पारेर सबमा | तपस्याको छाया भुवनभर पारेर सबमा | ||
::बढूँ सुस्तै सुस्तै, पर पर चढूँ नील | ::बढूँ सुस्तै सुस्तै, पर पर चढूँ नील नभमा । | ||
म भन्थें त्यो वेला पलपल ठुलो साहस धरी | म भन्थें त्यो वेला पलपल ठुलो साहस धरी | ||
::बिचैमा चौतर्फी पशु धुरिन आये | ::बिचैमा चौतर्फी पशु धुरिन आये गरगरी ॥ | ||
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कहाँ मेरो त्यस्तो तपनियमको सिद्धिसपना | कहाँ मेरो त्यस्तो तपनियमको सिद्धिसपना | ||
::कहाँ छोटा पेटू अधम पशुको त्यो | ::कहाँ छोटा पेटू अधम पशुको त्यो पशुपना । | ||
शिँगौरी खेल्दै ती निहुँपिहुँ झिकी लाखन थरी | शिँगौरी खेल्दै ती निहुँपिहुँ झिकी लाखन थरी | ||
::निशाना मैलाई गरि खनिन आये | ::निशाना मैलाई गरि खनिन आये वरिपरि ॥ | ||
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Revision as of 20:38, 6 May 2025
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४
खुले उद्योगीका शुभ दिवस जस्तै दश दिशा
निशाभन्दा राम्रा दिवस, दिनभन्दा अझ निशा ।
शरत्को शोभाले सब मलिनता दोष दबियो
अहा द्यावापृथ्वीमय भुवन यो कञ्चन भयो ॥
५
तपस्याको छाया भुवनभर पारेर सबमा
बढूँ सुस्तै सुस्तै, पर पर चढूँ नील नभमा ।
म भन्थें त्यो वेला पलपल ठुलो साहस धरी
बिचैमा चौतर्फी पशु धुरिन आये गरगरी ॥
६
कहाँ मेरो त्यस्तो तपनियमको सिद्धिसपना
कहाँ छोटा पेटू अधम पशुको त्यो पशुपना ।
शिँगौरी खेल्दै ती निहुँपिहुँ झिकी लाखन थरी
निशाना मैलाई गरि खनिन आये वरिपरि ॥