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Page:Tarun tapasi.pdf/11: Difference between revisions

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Revision as of 18:06, 9 April 2025

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श्री गौरीशङ्कराभ्यां नम:
तरुण तपसी
प्रथम विश्राम


रसीलो वर्षाको समय, दिन लम्बा, दिनकर
थिये क्यै ढल्केका गगनतलमा पश्चिमतिर।
त्यसै बेला घुम्दै विजन पथको पादपमनि
पुगे कोही यौटा कविवर बिसाऊँ अब भनी।।


मजाको चौतारी, वरपर सबै शून्य विजन
निकै टाढा पर्थे भवन, वन, वस्ती, उपवन।
बहन्थिन् सामुन्ने कलकल नदी पुण्यसलिला
अनेकौं देखिन्थे तटनिकटमा सुन्दर शिला।।