Jump to content

Page:Buddhibinodko pahila binod.pdf/22: Difference between revisions

From Nepali Proofreaders
Not proofread: Created page with "<noinclude>{{start center block}}</noinclude> <poem> बडा बडा भैरबका मुखै सरी कराल काला भुमरीहरू परी ॥ घुमी रहेका दिन रात फन्फन तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ {{pcn|६०}} पहाड जत्रा अति उग्र चालका अनन्त छल्का छतल्याङ्ग छा..."
 
No edit summary
Page body (to be transcluded):Page body (to be transcluded):
Line 2: Line 2:
<poem>
<poem>
बडा बडा भैरबका मुखै सरी
बडा बडा भैरबका मुखै सरी
कराल काला भुमरीहरू परी ॥
::कराल काला भुमरीहरू परी ॥
घुमी रहेका दिन रात फन्फन
घुमी रहेका दिन रात फन्फन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
{{pcn|६०}}
{{pcn|६०}}


पहाड जत्रा अति उग्र चालका
पहाड जत्रा अति उग्र चालका
अनन्त छल्का छतल्याङ्ग छालका ॥
::अनन्त छल्का छतल्याङ्ग छालका ॥
छचल्किएका उसमा प्रतिक्षण
छचल्किएका उसमा प्रतिक्षण
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
{{pcn|६१}}
{{pcn|६१}}


विरोध झैं दुर्जनमा तिखा तिखा
विरोध झैं दुर्जनमा तिखा तिखा
अतर्क्य लाखौं वडवाऽग्निका शिखा ॥
::अतर्क्य लाखौं वडवाऽग्निका शिखा ॥
बली रहेका उस भित्र दन्दन
बली रहेका उस भित्र दन्दन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
{{pcn|६२}}
{{pcn|६२}}


कतै कडा ग्राह-भुजङ्गको बल
कतै कडा ग्राह-भुजङ्गको बल
कतै खडा दङ्गलमा तिमिङ्गल ॥
::कतै खडा दङ्गलमा तिमिङ्गल ॥
असङ्ख्य देखें जल-जन्तु भीषण
असङ्ख्य देखें जल-जन्तु भीषण
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
{{pcn|६३}}
{{pcn|६३}}
</poem>
</poem>
<noinclude>{{end center block}}</noinclude>
<noinclude>{{end center block}}</noinclude>

Revision as of 09:53, 17 April 2025

This page has not been proofread

बडा बडा भैरबका मुखै सरी
कराल काला भुमरीहरू परी ॥
घुमी रहेका दिन रात फन्फन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
६०

पहाड जत्रा अति उग्र चालका
अनन्त छल्का छतल्याङ्ग छालका ॥
छचल्किएका उसमा प्रतिक्षण
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
६१

विरोध झैं दुर्जनमा तिखा तिखा
अतर्क्य लाखौं वडवाऽग्निका शिखा ॥
बली रहेका उस भित्र दन्दन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
६२

कतै कडा ग्राह-भुजङ्गको बल
कतै खडा दङ्गलमा तिमिङ्गल ॥
असङ्ख्य देखें जल-जन्तु भीषण
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
६३