Page:Bhikari.pdf/48: Difference between revisions
Appearance
No edit summary |
|||
Page status | Page status | ||
- | + | Proofread | |
Page body (to be transcluded): | Page body (to be transcluded): | ||
Line 1: | Line 1: | ||
{{center block| | |||
<poem> | <poem> | ||
१ | १ | ||
Line 4: | Line 5: | ||
मीठो छ बैंस मृदुभाषण मोहकारी । | मीठो छ बैंस मृदुभाषण मोहकारी । | ||
प्रश्वास शीतल लिई मुख कान्तिपूर्ण | प्रश्वास शीतल लिई मुख कान्तिपूर्ण | ||
पट्ठी परी प्रकृति मस्त झुलेर हाँसिन् ॥ | |||
२ | २ | ||
Line 16: | Line 17: | ||
आयो वसन्त सब सुन्दरता स्वरूप । | आयो वसन्त सब सुन्दरता स्वरूप । | ||
मीठो छ जीवन अहा ! सब फूलपात | मीठो छ जीवन अहा ! सब फूलपात | ||
सौन्दर्यका | सौन्दर्यका खुलदछन् हिउँमा लुकेर ॥ | ||
</poem> | </poem> | ||
}} |
Revision as of 11:55, 28 January 2025
This page has been proofread
१
बुट्टा र फूलहरुको हरियो छ सारी
मीठो छ बैंस मृदुभाषण मोहकारी ।
प्रश्वास शीतल लिई मुख कान्तिपूर्ण
पट्ठी परी प्रकृति मस्त झुलेर हाँसिन् ॥
२
हाम्रा पहाड, वनबाट चलीरहेको
मीठो हवा अमृतको रसतुल्य आयो ।
के आइ छुन्छ दिलका मृदु तार तार
के जादुले जगतको फुलबारि छायो !!
३
पर्दा तुषार कुहिराहरुको खुलेर
आयो वसन्त सब सुन्दरता स्वरूप ।
मीठो छ जीवन अहा ! सब फूलपात
सौन्दर्यका खुलदछन् हिउँमा लुकेर ॥