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तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३५॥ | तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३५॥ | ||
जगद्-व्यवस्था | जगद्-व्यवस्था जसमा छ सम्तत | ||
उनै स्वयं कृष्ण पराङ्गना-रत | उनै स्वयं कृष्ण पराङ्गना-रत | ||
कहाँ गयो उत्कट वेद-बन्धन | कहाँ गयो उत्कट वेद-बन्धन |
Revision as of 08:50, 17 April 2025
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प्रजा धरामा धरणी फणीशमा
फणीश पानी-बिच पानी हो कहाँ ?
मिलेन विश्रान्ति जवाब हो कुन ?
तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३४॥
जमाउने सृष्टि सदा चतुर्मुख
उडाउने शङ्कर सृष्टिको सुख ।
हुँदैन होला झगडा अहो ! किन ?
तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३५॥
जगद्-व्यवस्था जसमा छ सम्तत
उनै स्वयं कृष्ण पराङ्गना-रत
कहाँ गयो उत्कट वेद-बन्धन
तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३६॥
घसी खरानी शिरमा जटा धरी
श्मशानमा नित्य बनी दिगम्बरी
लडीरहेका शिव हो अहो ! किन
तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३७॥
विलासिनी दिव्य अनन्त अप्सरा
छँदाछँदै यौवन-भार मन्थरा ।
फँसे अहिल्यासित इन्द्र गै किन
तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३८॥