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स्वर माधुर्यको तेस्तो किन्नरैतुल्य कोइली। | स्वर माधुर्यको तेस्तो किन्नरैतुल्य कोइली। | ||
रूपमा लाजले हो कि बोल्छ राती झुलीझुली।। | रूपमा लाजले हो कि बोल्छ राती झुलीझुली।। | ||
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कोकिलस्वर त्यो सुन्दा संयमीहरुको पनि। | कोकिलस्वर त्यो सुन्दा संयमीहरुको पनि। | ||
डग्मगाउन चाहन्छ समाधिमय जीवनी।। | डग्मगाउन चाहन्छ समाधिमय जीवनी।। | ||
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कोइलीको कुहूकार सुन्यो राती जती जती। | कोइलीको कुहूकार सुन्यो राती जती जती। | ||
उती उती नयाँ लाग्छ यो सारा सृष्टिपद्धति।। | उती उती नयाँ लाग्छ यो सारा सृष्टिपद्धति।। | ||
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कोइली कागको भेद बोलीबाटै खुल्यो सब। | कोइली कागको भेद बोलीबाटै खुल्यो सब। | ||
मौकामा गुण जाहेर नभई रहला कब?।। | मौकामा गुण जाहेर नभई रहला कब?।। | ||
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अघिका वेदविज्ञाता ऋषिको झैं मनोहर। | अघिका वेदविज्ञाता ऋषिको झैं मनोहर। | ||
लाखौं चराचुरुङ्गीको सुनिन्छ मधुर स्वर।। | लाखौं चराचुरुङ्गीको सुनिन्छ मधुर स्वर।। | ||
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कुनै काँकाँ, कुनै कुर्र, कुनै चिर चिरीरिरी। | कुनै काँकाँ, कुनै कुर्र, कुनै चिर चिरीरिरी। | ||
शब्दसौन्दर्यभण्डार खोली बोल्छन् थरीथरी।। | शब्दसौन्दर्यभण्डार खोली बोल्छन् थरीथरी।। | ||
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पुष्पपल्लवका साथै पक्षीको मोद मङ्गल। | पुष्पपल्लवका साथै पक्षीको मोद मङ्गल। | ||
जुटनाले खुलेको छ नन्दनैतुल्य जङ्गल।। | जुटनाले खुलेको छ नन्दनैतुल्य जङ्गल।। | ||
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जुरेली, मुनियाँ, मैना, श्यामा, पट्टु, चिभे चरी। | जुरेली, मुनियाँ, मैना, श्यामा, पट्टु, चिभे चरी। | ||
धोबिनी सब देखिन्छन् उडने रागिनीसरी।। | धोबिनी सब देखिन्छन् उडने रागिनीसरी।। | ||
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मोहिनी तिनको बोली, मोहिनी भावभङ्गि छ। | मोहिनी तिनको बोली, मोहिनी भावभङ्गि छ। | ||
अङ्ग अङ्गविषे भिन्नै मोहिनी रङ्गिचङ्गि छ।। | अङ्ग अङ्गविषे भिन्नै मोहिनी रङ्गिचङ्गि छ।। | ||
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Revision as of 07:31, 10 April 2025
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७०
स्वर माधुर्यको तेस्तो किन्नरैतुल्य कोइली।
रूपमा लाजले हो कि बोल्छ राती झुलीझुली।।
७१
कोकिलस्वर त्यो सुन्दा संयमीहरुको पनि।
डग्मगाउन चाहन्छ समाधिमय जीवनी।।
७२
कोइलीको कुहूकार सुन्यो राती जती जती।
उती उती नयाँ लाग्छ यो सारा सृष्टिपद्धति।।
७३
कोइली कागको भेद बोलीबाटै खुल्यो सब।
मौकामा गुण जाहेर नभई रहला कब?।।
७४
अघिका वेदविज्ञाता ऋषिको झैं मनोहर।
लाखौं चराचुरुङ्गीको सुनिन्छ मधुर स्वर।।
७५
कुनै काँकाँ, कुनै कुर्र, कुनै चिर चिरीरिरी।
शब्दसौन्दर्यभण्डार खोली बोल्छन् थरीथरी।।
७६
पुष्पपल्लवका साथै पक्षीको मोद मङ्गल।
जुटनाले खुलेको छ नन्दनैतुल्य जङ्गल।।
७७
जुरेली, मुनियाँ, मैना, श्यामा, पट्टु, चिभे चरी।
धोबिनी सब देखिन्छन् उडने रागिनीसरी।।
७८
मोहिनी तिनको बोली, मोहिनी भावभङ्गि छ।
अङ्ग अङ्गविषे भिन्नै मोहिनी रङ्गिचङ्गि छ।।