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हेरी नशकनू पारी परखाल बडेबडे। | हेरी नशकनू पारी परखाल बडेबडे। | ||
नेपाली कविले खुट्टा काटेका वर्ण झैं लडे।। | नेपाली कविले खुट्टा काटेका वर्ण झैं लडे।। | ||
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धपक्क मेघको घुम्टो हाली कुलबधुसरी। | धपक्क मेघको घुम्टो हाली कुलबधुसरी। | ||
दिगङ्गना बसेका छन् लुकाई मुखमाधुरी।। | दिगङ्गना बसेका छन् लुकाई मुखमाधुरी।। | ||
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लोकोपकारमा सुम्प्यो मेघले सब जीवन। | लोकोपकारमा सुम्प्यो मेघले सब जीवन। | ||
सबै यस्तै भयेदेखि दुःख हुन्थ्यो हरे किन?।। | सबै यस्तै भयेदेखि दुःख हुन्थ्यो हरे किन?।। | ||
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वर्षाको शुरुमा हर्ष अन्त्यमा पनि हर्ष छ। | वर्षाको शुरुमा हर्ष अन्त्यमा पनि हर्ष छ। | ||
विशेष अरुमा भन्दा वर्षामा यो प्रकर्ष छ।। | विशेष अरुमा भन्दा वर्षामा यो प्रकर्ष छ।। | ||
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हुन त मधुर मेरो छैन वर्षाविचार | हुन त मधुर मेरो छैन वर्षाविचार | ||
नजर गरनुहोला तैपनी एक बार। | नजर गरनुहोला तैपनी एक बार। |
Revision as of 07:59, 10 April 2025
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९७
हेरी नशकनू पारी परखाल बडेबडे।
नेपाली कविले खुट्टा काटेका वर्ण झैं लडे।।
९८
धपक्क मेघको घुम्टो हाली कुलबधुसरी।
दिगङ्गना बसेका छन् लुकाई मुखमाधुरी।।
९९
लोकोपकारमा सुम्प्यो मेघले सब जीवन।
सबै यस्तै भयेदेखि दुःख हुन्थ्यो हरे किन?।।
१००
वर्षाको शुरुमा हर्ष अन्त्यमा पनि हर्ष छ।
विशेष अरुमा भन्दा वर्षामा यो प्रकर्ष छ।।
१०१
हुन त मधुर मेरो छैन वर्षाविचार
नजर गरनुहोला तैपनी एक बार।
भनिकन कर जोडी हार्दिक स्नेहसाथ
गरदछ कविलाई प्रार्थना लेखनाथ।।
इति वर्षा-विचार