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खिंची लपलपाऽऽकार तर्बार बिजुलीमय। | खिंची लपलपाऽऽकार तर्बार बिजुलीमय। | ||
गर्जन्छ रणमा मत्त वीर झैं मेघ निर्भय।। | गर्जन्छ रणमा मत्त वीर झैं मेघ निर्भय।। | ||
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शिवले विष झैं सारा चक्रो गर्मी पिईकन। | शिवले विष झैं सारा चक्रो गर्मी पिईकन। | ||
थाल्यो कि बिजुलीजिभ्रो काढी मेघ मडारिन?।। | थाल्यो कि बिजुलीजिभ्रो काढी मेघ मडारिन?।। | ||
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घरी मिलिक्क मिल्कन्छ घरी गडगडाउँछ। | घरी मिलिक्क मिल्कन्छ घरी गडगडाउँछ। | ||
घरी त्यो नगरातुल्य जोरले घुहुनाउँछ।। | घरी त्यो नगरातुल्य जोरले घुहुनाउँछ।। | ||
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अथवा जलको भारी गह्रुङ्गो भै गलीगली। | अथवा जलको भारी गह्रुङ्गो भै गलीगली। | ||
चल्छ त्यो बिजुलीरूप लट्ठी टेकी अलीअली।। | चल्छ त्यो बिजुलीरूप लट्ठी टेकी अलीअली।। | ||
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बिजुली नामको यद्वा छहरा अति निर्मल। | बिजुली नामको यद्वा छहरा अति निर्मल। | ||
स्वर्धुनीको खसेको हो छिचोली मेघ जङ्ल?।। | स्वर्धुनीको खसेको हो छिचोली मेघ जङ्ल?।। | ||
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यस्तै छ जीवनज्योति अँध्यारामा भनीकन। | यस्तै छ जीवनज्योति अँध्यारामा भनीकन। | ||
देखायो विधिले यद्वा बिजुलीको निदर्शन?।। | देखायो विधिले यद्वा बिजुलीको निदर्शन?।। | ||
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मिलिक्क मिल्कँदा मेघ प्रकाश जुन आउँछ। | मिलिक्क मिल्कँदा मेघ प्रकाश जुन आउँछ। | ||
विश्वको जीवनज्योति उसैले जग्मगाउँछ।। | विश्वको जीवनज्योति उसैले जग्मगाउँछ।। | ||
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जो त्यो मिलमिलीरूप मेघको मन्दहास छ। | जो त्यो मिलमिलीरूप मेघको मन्दहास छ। | ||
उसमा तीव्र गर्मीका बलको उपहास छ।। | उसमा तीव्र गर्मीका बलको उपहास छ।। | ||
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हास्यगर्भित गम्भीर सुन्दा त्यो मेघगर्जन। | हास्यगर्भित गम्भीर सुन्दा त्यो मेघगर्जन। | ||
सारा संसार सम्झन्छ भावि सौभाग्यसूचन।। | सारा संसार सम्झन्छ भावि सौभाग्यसूचन।। | ||
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Revision as of 07:49, 10 April 2025
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७
खिंची लपलपाऽऽकार तर्बार बिजुलीमय।
गर्जन्छ रणमा मत्त वीर झैं मेघ निर्भय।।
८
शिवले विष झैं सारा चक्रो गर्मी पिईकन।
थाल्यो कि बिजुलीजिभ्रो काढी मेघ मडारिन?।।
९
घरी मिलिक्क मिल्कन्छ घरी गडगडाउँछ।
घरी त्यो नगरातुल्य जोरले घुहुनाउँछ।।
१०
अथवा जलको भारी गह्रुङ्गो भै गलीगली।
चल्छ त्यो बिजुलीरूप लट्ठी टेकी अलीअली।।
११
बिजुली नामको यद्वा छहरा अति निर्मल।
स्वर्धुनीको खसेको हो छिचोली मेघ जङ्ल?।।
१२
यस्तै छ जीवनज्योति अँध्यारामा भनीकन।
देखायो विधिले यद्वा बिजुलीको निदर्शन?।।
१३
मिलिक्क मिल्कँदा मेघ प्रकाश जुन आउँछ।
विश्वको जीवनज्योति उसैले जग्मगाउँछ।।
१४
जो त्यो मिलमिलीरूप मेघको मन्दहास छ।
उसमा तीव्र गर्मीका बलको उपहास छ।।
१५
हास्यगर्भित गम्भीर सुन्दा त्यो मेघगर्जन।
सारा संसार सम्झन्छ भावि सौभाग्यसूचन।।