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वदन बान्किलो हास्य सुन्दर । | वदन बान्किलो हास्य सुन्दर । | ||
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रँग प्रवालका, ओठ पातला । | रँग प्रवालका, ओठ पातला । | ||
::दशवसन्तकी दिव्य पातला॥ | ::दशवसन्तकी दिव्य पातला॥ | ||
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सलिलकेलिकी कान्ति झल्झल । | सलिलकेलिकी कान्ति झल्झल । | ||
::मधुर गानकी कल्कल ॥ | ::मधुर गानकी मुर्ती कल्कल ॥ | ||
मृदु गुलाबमा | मृदु गुलाबमा शीत विन्दु झैं । | ||
::पतित, | ::पतित, झीलमा चारु इन्दु झैं ॥ | ||
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चपल वीचि झैं | चपल वीचि झैं तीरचुम्बिनी । | ||
::दिव्य कान्तिले तिनी ॥ | ::दिव्य कान्तिले मुस्किँदी तिनी ॥ | ||
मधुर चालकी छन् स्वतन्त्रता । | |||
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अष्टम सर्ग
विपिनबीच छन् ती शकुन्तला ।
कुसुम-कोपिला कान्त-कुन्तला ॥
चपल चालकी दीर्घलोचनी ।
ललित लालिमा-युक्त मोहनी ॥
(१)
वदन बान्किलो हास्य सुन्दर ।
विहगगानकी मञ्जुमन्दिर ॥
रँग प्रवालका, ओठ पातला ।
दशवसन्तकी दिव्य पातला॥
(२)
सलिलकेलिकी कान्ति झल्झल ।
मधुर गानकी मुर्ती कल्कल ॥
मृदु गुलाबमा शीत विन्दु झैं ।
पतित, झीलमा चारु इन्दु झैं ॥
(३)
चपल वीचि झैं तीरचुम्बिनी ।
दिव्य कान्तिले मुस्किँदी तिनी ॥
मधुर चालकी छन् स्वतन्त्रता ।
विपिन-बालिका केलिमा रता ॥
(४)