Jump to content

Page:Shakuntala.pdf/24: Difference between revisions

From Nepali Proofreaders
No edit summary
No edit summary
Tag: Reverted
Page body (to be transcluded):Page body (to be transcluded):
Line 1: Line 1:
{{c|{{x-larger|'''तृतीय सर्ग'''}}
{{c|{{x-larger|'''तृतीय सर्ग'''}}}}
'''मेनका;;$गमन'''
{{pcn|'''मेनका;;$गमन'''}}
'''(तोटक)'''}}
{{pcn|'''(तोटक)'''}}


सुन बादल भौ सुन सूर्य भए ।
सुन बादल भौ सुन सूर्य भए ।

Revision as of 00:32, 17 February 2025

This page has not been proofread
तृतीय सर्ग

मेनका;;$गमन (तोटक)

सुन बादल भौ सुन सूर्य भए । सुरद्वार खुल्यो सुनेको नभमा ॥ सुनको भव भो सुनको जलले । सुन तार बजाउँछ कल्कलले ॥

सुनको छ सिँढी सुरमार्गसरी । अलि लालगुलाब छरी हँसिलो ॥ झलमल्ल दुमुनन्वल ज्ज्वल कान्तितिर । दिन सुवर्णपुरीशिखर ॥

अब दिव्य हिरण्मयको प्रहर । दिन पुग्दछ स्वर्ग उडी सहजै ॥ सुन-पड्ख लिई सुनको चिडिया । मन देख्दछ क्या ! सुनको शहर ॥,

सपना दिउँसै सब चक्षुअघि । सुनबाट सुगन्धसमान खुल्यो ॥ अब शीतल शान्त समीरणले । मन नग्दछ सुन्दर-मन्दिरमा ॥