Page:Bhikari.pdf/28: Difference between revisions
Appearance
No edit summary |
|||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Page status | Page status | ||
- | + | Validated | |
Page body (to be transcluded): | Page body (to be transcluded): | ||
Line 1: | Line 1: | ||
{{center|{{larger|'''आफ्नो घर'''}}}} | {{center|{{larger|'''आफ्नो घर'''}}}} | ||
{{center block | {{start center block}} | ||
<poem> | <poem> | ||
{{pcn|१}} | {{pcn|१}} | ||
Line 7: | Line 7: | ||
अँधेरि निशिमा परें किरण छाउ हे सुन्दर । | अँधेरि निशिमा परें किरण छाउ हे सुन्दर । | ||
दिनोदय समानको मधुर दृश्य देखाउन | दिनोदय समानको मधुर दृश्य देखाउन | ||
हजारमा मृदुभावका सुकल बोल | हजारमा मृदुभावका सुकल बोल ब्यूँझाउन॥ | ||
{{pcn|२}} | {{pcn|२}} | ||
Line 21: | Line 21: | ||
नबोल्न सकिने, फिका, लघु विचार झैं कोमल ॥ | नबोल्न सकिने, फिका, लघु विचार झैं कोमल ॥ | ||
</poem> | </poem> | ||
}} | <noinclude>{{end center block}}</noinclude> |
Latest revision as of 20:15, 20 May 2025
This page has been validated
आफ्नो घर
१
विचार ! घुस तेजिला, हृदयमा उज्यालो भर
अँधेरि निशिमा परें किरण छाउ हे सुन्दर ।
दिनोदय समानको मधुर दृश्य देखाउन
हजारमा मृदुभावका सुकल बोल ब्यूँझाउन॥
२
उठोस् सिरिसिरी गरी पवन प्रातको शीतल
समान शुभ-कामना प्रिय सुवासले मञ्जुल ।
उडाउ खग-कल्पना गगन दिव्यमा पूर्वको,
जहाँ, उदय मोहनी सुख छ सत्य-सौन्दर्यको ॥
३
जवाकुसुममा हुने तुहिन-विन्दु झैं निर्मल
सुगोल, रसिला खुला हृदय-पत्रका हुन् जल ।
सुवर्ण रङ झल्किऊन् जलन पग्लिने बादल
नबोल्न सकिने, फिका, लघु विचार झैं कोमल ॥