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त्यसै वेला यौटा | त्यसै वेला यौटा विधि-नियमको दर्पण बनी | ||
::चुँडेको चङ्गा | ::चुँडेको चङ्गा झैँ शिथिल रविको मण्डल पनि । | ||
गये ढल्दै ढल्दै, तल तल हुँदै, कत्ति नअडी | गये ढल्दै ढल्दै, तल तल हुँदै, कत्ति नअडी | ||
::गुते अग्ला अग्ला हिमशिखरले | ::गुते अग्ला अग्ला हिमशिखरले कान्ति-पगडी ॥ | ||
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झर्यो मैलो पर्दा भुवनभर अर्कै प्रकृतिको | |||
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::घुम्यो त्यै चङ्गाको चटक सब मेरा हृदयमा ॥ | ::घुम्यो त्यै चङ्गाको चटक सब मेरा हृदयमा ॥ | ||
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यसरि | यसरि हृदय-हारी भाव-गम्भीर भारी | ||
::सरस सरस सानू | ::सरस सरस सानू सूक्ति-निस्यन्द झारी । | ||
मुनिवर बनिहाले मौनभावाऽभिराम | मुनिवर बनिहाले मौनभावाऽभिराम | ||
::अलिछिन मन मेरो चक्करायो तमाम ॥ | ::अलिछिन मन मेरो चक्करायो तमाम ॥ | ||
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Latest revision as of 16:24, 10 June 2025
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३४
त्यसै वेला यौटा विधि-नियमको दर्पण बनी
चुँडेको चङ्गा झैँ शिथिल रविको मण्डल पनि ।
गये ढल्दै ढल्दै, तल तल हुँदै, कत्ति नअडी
गुते अग्ला अग्ला हिमशिखरले कान्ति-पगडी ॥
३५
झर्यो मैलो पर्दा भुवनभर अर्कै प्रकृतिको
विवेकाऽऽलोक-श्री रहित मनझैँ मन्दमतिको ।
म डूबेँ त्यै कालो तम-जलधिमा त्यो समयमा
घुम्यो त्यै चङ्गाको चटक सब मेरा हृदयमा ॥
३६
यसरि हृदय-हारी भाव-गम्भीर भारी
सरस सरस सानू सूक्ति-निस्यन्द झारी ।
मुनिवर बनिहाले मौनभावाऽभिराम
अलिछिन मन मेरो चक्करायो तमाम ॥