Page:Tarun tapasi.pdf/24: Difference between revisions
Appearance
No edit summary |
|||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Page status | Page status | ||
- | + | Validated | |
Page body (to be transcluded): | Page body (to be transcluded): | ||
Line 6: | Line 6: | ||
म पनी मुनि-वाक्य-माधुरी- | म पनी मुनि-वाक्य-माधुरी- | ||
::मुहुनीको वश बेसरी परी । | ::मुहुनीको वश बेसरी परी । | ||
चुपचाप | चुपचाप थियेँ शनै: शनै: | ||
::फिर निस्के मुनिका कुरा उनै ॥ | ::फिर निस्के मुनिका कुरा उनै ॥ | ||
{{pcn|२}} | {{pcn|२}} | ||
बित्यो वर्षा, प्यारो जलन | बित्यो वर्षा, प्यारो जलन जल-धारा छरिछरी | ||
::हरी | ::हरी ग्रीष्म-ज्वाला, सकल पृथिवी शीतल गरी । | ||
पखेरामा लागी तुहिनगिरिको शङ्कर सरी | पखेरामा लागी तुहिनगिरिको शङ्कर सरी | ||
::बस्यो यद्वा लेट्यो सुखमय हँसीलोपन धरी ॥ | ::बस्यो यद्वा लेट्यो सुखमय हँसीलोपन धरी ॥ | ||
{{pcn|३}} | {{pcn|३}} | ||
कुवा, | कुवा, खोला-नाला, सर, दह तथा ताल, तटिनी | ||
::सबै सङ्ले झल्के, अति विमल ऐनामय बनी । | ::सबै सङ्ले, झल्के, अति विमल ऐनामय बनी । | ||
जहाँ हेर्दा नीलो गगनतल चुर्लुम्म सकल | जहाँ हेर्दा नीलो गगनतल चुर्लुम्म सकल | ||
::डुबेको देखिन्थ्यो | ::डुबेको देखिन्थ्यो मुनि-मन सरी स्वच्छ विमल ॥ | ||
</poem> | </poem> | ||
<noinclude>{{end center block}}</noinclude> | <noinclude>{{end center block}}</noinclude> |
Latest revision as of 17:18, 6 June 2025
This page has been validated
तृतीय विश्राम
१
म पनी मुनि-वाक्य-माधुरी-
मुहुनीको वश बेसरी परी ।
चुपचाप थियेँ शनै: शनै:
फिर निस्के मुनिका कुरा उनै ॥
२
बित्यो वर्षा, प्यारो जलन जल-धारा छरिछरी
हरी ग्रीष्म-ज्वाला, सकल पृथिवी शीतल गरी ।
पखेरामा लागी तुहिनगिरिको शङ्कर सरी
बस्यो यद्वा लेट्यो सुखमय हँसीलोपन धरी ॥
३
कुवा, खोला-नाला, सर, दह तथा ताल, तटिनी
सबै सङ्ले, झल्के, अति विमल ऐनामय बनी ।
जहाँ हेर्दा नीलो गगनतल चुर्लुम्म सकल
डुबेको देखिन्थ्यो मुनि-मन सरी स्वच्छ विमल ॥