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बहन्थिन् सामुन्ने कलकल नदी | बहन्थिन् सामुन्ने कलकल नदी पुण्य-सलिला | ||
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Latest revision as of 14:09, 30 May 2025
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श्री गौरीशङ्कराभ्यां नम:
तरुण तपसी
प्रथम विश्राम
१
रसीलो वर्षाको समय, दिन लम्बा, दिनकर
थिये क्यै ढल्केका गगनतलमा पश्चिमतिर ।
त्यसै बेला घुम्दै विजन पथको पादपमनि
पुगे कोही यौटा कविवर बिसाऊँ अब भनी ॥
२
मजाको चौतारी, वरपर सबै शून्य विजन
निकै टाढा पर्थे भवन, वन, वस्ती, उपवन ।
बहन्थिन् सामुन्ने कलकल नदी पुण्य-सलिला
अनेकौँ देखिन्थे तट-निकटमा सुन्दर शिला ॥