Page:Tarun tapasi.pdf/116: Difference between revisions
Appearance
→Not proofread: Created page with "<noinclude>{{start center block}}</noinclude> <poem> {{pcn|२४}} यसरि अगम भित्री भाव वा सच्चरित्र ::भनि मुनि अलमस्ती मस्त भै भित्र भित्र। फिर मुसुमुसु हाँसे, किन्तु भो वाक्य बन्द ::कमलबिच निदायो मुग्ध मानू मिलिन्द।। </poem> {{end..." |
|||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Page status | Page status | ||
- | + | Validated | |
Page body (to be transcluded): | Page body (to be transcluded): | ||
Line 3: | Line 3: | ||
{{pcn|२४}} | {{pcn|२४}} | ||
यसरि अगम भित्री भाव वा सच्चरित्र | यसरि अगम भित्री भाव वा सच्चरित्र | ||
::भनि मुनि अलमस्ती मस्त भै भित्र | ::भनि मुनि अलमस्ती मस्त भै भित्र भित्र । | ||
फिर मुसुमुसु हाँसे, किन्तु भो वाक्य बन्द | फिर मुसुमुसु हाँसे, किन्तु भो वाक्य बन्द | ||
::कमलबिच निदायो मुग्ध मानू | ::कमलबिच निदायो मुग्ध मानू मिलिन्द ॥ | ||
</poem> | </poem> | ||
{{end center block}} | {{end center block}} |
Latest revision as of 21:23, 18 June 2025
This page has been validated
२४
यसरि अगम भित्री भाव वा सच्चरित्र
भनि मुनि अलमस्ती मस्त भै भित्र भित्र ।
फिर मुसुमुसु हाँसे, किन्तु भो वाक्य बन्द
कमलबिच निदायो मुग्ध मानू मिलिन्द ॥