Page:Tarun tapasi.pdf/25: Difference between revisions
Appearance
→Not proofread: Created page with "<noinclude>{{start center block}}</noinclude> <poem> {{pcn|४}} खुले उद्योगीका शुभ दिवस जस्तै दश दिशा ::निशाभन्दा राम्रा दिवस, दिनभन्दा अझ निशा। शरत्को शोभाले सब मलिनता दोष दबियो ::अहा द्यावापृथ्वीमय भुवन यो कञ्चन भयो।। {..." |
|||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Page status | Page status | ||
- | + | Validated | |
Page body (to be transcluded): | Page body (to be transcluded): | ||
Line 3: | Line 3: | ||
{{pcn|४}} | {{pcn|४}} | ||
खुले उद्योगीका शुभ दिवस जस्तै दश दिशा | खुले उद्योगीका शुभ दिवस जस्तै दश दिशा | ||
::निशाभन्दा राम्रा दिवस, दिनभन्दा अझ | ::निशाभन्दा राम्रा दिवस, दिनभन्दा अझ निशा । | ||
शरत्को शोभाले सब मलिनता दोष दबियो | |||
::अहा | ::अहा ! द्यावा-पृथ्वीमय भुवन यो कञ्चन भयो ॥ | ||
{{pcn|५}} | {{pcn|५}} | ||
तपस्याको छाया भुवनभर पारेर सबमा | तपस्याको छाया भुवनभर पारेर सबमा | ||
::बढूँ सुस्तै सुस्तै, पर पर चढूँ नील | ::बढूँ सुस्तै सुस्तै, पर पर चढूँ नील नभमा । | ||
म | म भन्थेँ त्यो वेला पलपल ठुलो साहस धरी | ||
::बिचैमा चौतर्फी पशु धुरिन आये | ::बिचैमा चौतर्फी पशु धुरिन आये गरगरी ॥ | ||
{{pcn|६}} | {{pcn|६}} | ||
कहाँ मेरो त्यस्तो | कहाँ मेरो त्यस्तो तप-नियमको सिद्धि-सपना | ||
::कहाँ छोटा पेटू अधम पशुको त्यो | ::कहाँ छोटा पेटू अधम पशुको त्यो पशुपना । | ||
शिँगौरी खेल्दै ती | शिँगौरी खेल्दै ती निहुँ-पिहुँ झिकी लाखन थरी | ||
::निशाना मैलाई गरि खनिन आये | ::निशाना मैलाई गरि खनिन आये वरिपरि ॥ | ||
</poem> | </poem> | ||
<noinclude>{{end center block}}</noinclude> | <noinclude>{{end center block}}</noinclude> |
Latest revision as of 17:20, 6 June 2025
This page has been validated
४
खुले उद्योगीका शुभ दिवस जस्तै दश दिशा
निशाभन्दा राम्रा दिवस, दिनभन्दा अझ निशा ।
शरत्को शोभाले सब मलिनता दोष दबियो
अहा ! द्यावा-पृथ्वीमय भुवन यो कञ्चन भयो ॥
५
तपस्याको छाया भुवनभर पारेर सबमा
बढूँ सुस्तै सुस्तै, पर पर चढूँ नील नभमा ।
म भन्थेँ त्यो वेला पलपल ठुलो साहस धरी
बिचैमा चौतर्फी पशु धुरिन आये गरगरी ॥
६
कहाँ मेरो त्यस्तो तप-नियमको सिद्धि-सपना
कहाँ छोटा पेटू अधम पशुको त्यो पशुपना ।
शिँगौरी खेल्दै ती निहुँ-पिहुँ झिकी लाखन थरी
निशाना मैलाई गरि खनिन आये वरिपरि ॥