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उसै, तँ छोडीकन छोडिने भये | उसै, तँ छोडीकन छोडिने भये | ||
तँलाइ छोडी सुख जोडिने भये ॥ | ::तँलाइ छोडी सुख जोडिने भये ॥ | ||
स्वयं विधातातक भुल्दथे किन ? | स्वयं विधातातक भुल्दथे किन ? | ||
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ||
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अगाध चैतन्य समुद्रमा सदा | अगाध चैतन्य समुद्रमा सदा | ||
अनन्त यस्ता लहरी जुदा, जुदा ॥ | ::अनन्त यस्ता लहरी जुदा, जुदा ॥ | ||
अटूट चल्छन् तर छैन कम्पन | अटूट चल्छन् तर छैन कम्पन | ||
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ||
{{pcn|१०१}} | {{pcn|१०१}} | ||
तँ काखमा आ, म मिलाउँछू मुख | तँ काखमा आ, म मिलाउँछू मुख | ||
पिलाउँछू दिव्य अपूर्व | ::पिलाउँछू दिव्य अपूर्व चित्सुख ॥ | ||
यहाँ छ आनन्द अनन्त पावन | यहाँ छ आनन्द अनन्त पावन | ||
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ::तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥ | ||
{{pcn|१०२}} | {{pcn|१०२}} | ||
मन– | मन– | ||
म काखमा छू, म मिलाउँछू मुख | म काखमा छू, म मिलाउँछू मुख | ||
पिलाउ लौ दिव्य अपूर्व चित्सुख ॥ | ::पिलाउ लौ दिव्य अपूर्व चित्सुख ॥ | ||
परन्तु यो याद गरे निवेदन | परन्तु यो याद गरे निवेदन | ||
सहन्न मूर्छा कहिले पनी मन ॥ | ::सहन्न मूर्छा कहिले पनी मन ॥ | ||
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उसै, तँ छोडीकन छोडिने भये
तँलाइ छोडी सुख जोडिने भये ॥
स्वयं विधातातक भुल्दथे किन ?
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
१००
अगाध चैतन्य समुद्रमा सदा
अनन्त यस्ता लहरी जुदा, जुदा ॥
अटूट चल्छन् तर छैन कम्पन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
१०१
तँ काखमा आ, म मिलाउँछू मुख
पिलाउँछू दिव्य अपूर्व चित्सुख ॥
यहाँ छ आनन्द अनन्त पावन
तँलाइ मालुं छ कि ? यो कुरा मन ! ॥
१०२
मन–
म काखमा छू, म मिलाउँछू मुख
पिलाउ लौ दिव्य अपूर्व चित्सुख ॥
परन्तु यो याद गरे निवेदन
सहन्न मूर्छा कहिले पनी मन ॥
१०३