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बादल पारि | बादल पारि | ||
स्वर्गमा भारी | स्वर्गमा भारी |
Latest revision as of 13:55, 19 April 2025
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श्रीः
पृथ्वीराज चौहान
प्रथम सर्ग
(१)
आँखामा बत्ती, नशामा जोश, मुटुमा फुलाई ।
लिएर पढौं हे भाइ बहिनी
यो कथा मीठो दिललाई छीटो
जीवनको मैन एकान्त वनमा
बसेर जलाई।
बास्ना मीठा इच्छाले सम्झी
संसारको भलाइ ।
(२)
हामीले देख्यौं धपक्क चूली
भारतकी सुनचूली ।
बादल पारि
स्वर्गमा भारी