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::मधुर दोलन ताल दिने भए ॥ | ::मधुर दोलन ताल दिने भए ॥ | ||
गगनमा छवि लाल सबैतिर । | गगनमा छवि लाल सबैतिर । | ||
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अब दिवाकर राज्य अनङ्गको । | अब दिवाकर राज्य अनङ्गको । | ||
::झलल पार्न गई जलमा डुबे ॥ | ::झलल पार्न गई जलमा डुबे ॥ | ||
कमलिनी उरमा | कमलिनी उरमा भँवरो धरी । | ||
::नयन चिम्लिननिम्ति तयार | ::नयन चिम्लिननिम्ति तयार छ ॥ | ||
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हरर | हरर मंग्मग बासहरू चले । | ||
::मृदु | ::मृदु समुच्छ्वसित प्रणयाऽऽसव ॥ | ||
मधुर भै दिनको प्रखर प्रभा । | मधुर भै दिनको प्रखर प्रभा । | ||
::तरु गलासँग बद्ध छ कामिनी ॥ | ::तरु गलासँग बद्ध छ कामिनी ॥ | ||
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किसलयी अबला कुचकोमला | किसलयी अबला कुचकोमला । | ||
::मधुर पर्न ढिटी पिकको गला ॥ | ::मधुर पर्न ढिटी पिकको गला ॥ | ||
शरमलाल उरोरुह छेक्दथी । | |||
::अब फुकी | ::अब फुकी अवगुण्ठन फ्याँक्दछे ॥ | ||
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सुरभिका शरले उर भेदिने । | सुरभिका शरले उर भेदिने । | ||
::विविध रङ्ग दिईकन भावमा ॥ | ::विविध रङ्ग दिईकन भावमा ॥ | ||
रति-मनोरमको रजनी सफा । | रति - मनोरमको रजनी सफा । | ||
:: | ::अब छ शासन हेर सुवासको ॥ | ||
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मधुर काम जगाउन | मधुर काम जगाउन गाउँथिन् । | ||
::नरम नर्तनमा मृदुकामना ॥ | ::नरम नर्तनमा मृदुकामना ॥ | ||
कुसुमतुल्य हुने | कुसुमतुल्य हुने रँगमा झरी । | ||
:: | ::शवल भै मनका मृदु बागमा ॥ | ||
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Latest revision as of 19:40, 10 June 2025
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अब लता, तरु आ तृण, पात नै ।
मधुर दोलन ताल दिने भए ॥
गगनमा छवि लाल सबैतिर ।
मदनकी मदिरा रँगिली बनी ॥
(७२)
अब दिवाकर राज्य अनङ्गको ।
झलल पार्न गई जलमा डुबे ॥
कमलिनी उरमा भँवरो धरी ।
नयन चिम्लिननिम्ति तयार छ ॥
(७३)
हरर मंग्मग बासहरू चले ।
मृदु समुच्छ्वसित प्रणयाऽऽसव ॥
मधुर भै दिनको प्रखर प्रभा ।
तरु गलासँग बद्ध छ कामिनी ॥
(७४)
किसलयी अबला कुचकोमला ।
मधुर पर्न ढिटी पिकको गला ॥
शरमलाल उरोरुह छेक्दथी ।
अब फुकी अवगुण्ठन फ्याँक्दछे ॥
(७५)
सुरभिका शरले उर भेदिने ।
विविध रङ्ग दिईकन भावमा ॥
रति - मनोरमको रजनी सफा ।
अब छ शासन हेर सुवासको ॥
(७६)
मधुर काम जगाउन गाउँथिन् ।
नरम नर्तनमा मृदुकामना ॥
कुसुमतुल्य हुने रँगमा झरी ।
शवल भै मनका मृदु बागमा ॥
(७७)